एक मशहूर अर्थशास्त्री थे Milton Friedman । उनका एक बयान बहुत मशहूर है । Inflation is taxation without legislation. इसका मतलब ये हुआ कि महंगाई आम जनता पर लगाया गया एक तरह का टैक्स ही है। ये बातें मैंने इसलिए आपके सामने रखी क्योंकि इन दिनों भारत में भी महंगाई दर 7% से ऊपर है। अर्थशास्त्र सीधे तौर पर आम लोगों को समझ में नहीं आता। इसलिए आम लोगों को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि महंगाई दर 7% है या 2 फीसदी। उन्हें इस बात से फर्क पड़ता है कि कल दूध का पैकेट 29 रुपए का था आज 30 रुपए का कैसे हो गया। ऐसा ही आटा-दाल-दही जैसी रोज इस्तेमाल की चीजों को लेकर है। फिलहाल इसकी वजह ब्रैंडेड पैकेट पर 5% GST लागू होने को बताया जा रहा है। ये क्या माजरा है, इसे भी बताएंगे। इतना ही नहीं डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 80 तक पहुंच गई है। ये गिरावट क्या किसी बड़े खतरे की आशंका है। जो कहा जा रहा है कि श्रीलंका जैसी हालत हो सकती है। क्या उसमें रत्ती भर भी सच्चाई है ? इन सब बातों पर साफ-सुथरी बहस की बहुत जरूरत है।
जाहिर तौर पर इकोनॉमी के मुद्दों पर विपक्ष हंगामा खड़ रहा है। लेकिन सवाल पब्लिक का है कि इस पर बहस से भाग कौन रहा है? क्योंकि संसद हंगामे की भेंट चढ़ रही है। विपक्षी सदस्यों के विरोध-प्रदर्शन की ड्रामेटिक तस्वीरें जरूर सामने आ रही हैं। लेकिन महंगाई, GST पर असल चर्चा गायब है। आखिर रुपया 80 पार, महंगाई 7% पार...क्यों और कबतक ? कौन जिम्मेदार? आज सवाल पब्लिक का यही है।
देश में महंगाई बढ़ी है और कांग्रेस के मुताबिक GST की मार भी है। पहले मैं GST की बात करूंगी जिसे राहुल गांधी गब्बर सिंह टैक्स कहते हैं। राहुल गांधी ने आज ट्वीट कर के कहा कि महंगाई से जूझती जनता के लिए 'गब्बर' की रेसिपी। कम बनाओ, कम खाओ, जुमलों के तड़के से भूख मिटाओ।
'मित्रों' की अनकही बातें तक सुनने वाले प्रधानमंत्री को अब जनता की बात सुननी भी होगी और ये GST वापस लेना भी होगा। राहुल का ये तंज 18 जुलाई से GST के दायरे में आटा, दाल, मुरमुरे, दही, लस्सी, पनीर, गुड़, पापड़ और शहद जैसी चीजों के ब्रैंडेड पैकेट पर लगी 5% GST को लेकर है। लेकिन कांग्रेस संसद से सड़क पर हंगामा कर रही है।
कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से राज्यसभा के अंदर का एक वीडियो ट्वीट हुआ। इस ट्वीट में कांग्रेस ने लिखा - सदन 'GST वापस लो' के नारों से गूंज रहा है, बहरी सरकार ने अगर ये आवाज अनसुनी की तो, ये संघर्ष सदन से सड़क तक जारी रहेगा। GST के इस हंगामे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 ट्वीट्स में सरकार का पक्ष रखा।
GST लागू होने से पहले भी अनाज पर वैट लगता था। GST लागू होने पर अनाज, दाल, आटा के सिर्फ रजिस्टर्ड ब्रांड्स पर 5% GST लगी। लेकिन कई नामी ब्रांड्स ने इसका दुरुपयोग किया। इसलिए इन पर GST लगाने के सिर्फ तौर-तरीकों में बदलाव हुआ है। सिर्फ 2-3 आइटम्स को छोड़कर GST की कवरेज में कोई बदलाव नहीं है। सरकार GST काउंसिल के जिस फैसले को टैक्स लीकेज रोकने वाला कदम बता रही है, कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष उसे जनता पर बोझ बता रहा है। और ये मौका ऐसा है जब महंगाई की चुनौती से सरकार पहले से ही जूझ रही है।
जून का खुदरा महंगाई का आंकड़ा 7.1% है। पिछली 2 तिमाही में महंगाई दर RBI की महंगाई की लिमिट 6% से अधिक है। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि कोरोना और यूक्रेन युद्ध के असर से दुनिया में महंगाई से हाल बेहाल है। जून 2022 में यूके में महंगाई 9.4%, अमेरिका में 9.1%, जर्मनी में 7.6 %, रूस में 15.9% और ब्राजील में 11.9% रही है।
लेकिन सवाल ये है कि महंगाई और GST पर बहस कहां होगी? देश की संसद में ही ना। रास्ता कहां से निकलेगा..देश की संसद से ही न । लेकिन संसद में क्या हो रहा है वो आप पिछले तीन दिनों से देख रहे हैं । हंगामा और सिर्फ हंगामा। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चर्चा ही नहीं कराना चाहती। सुनिए विपक्षी नेता क्या कह रहे हैं। विपक्ष के आरोप पर सरकार ने भी पलटवार किया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में गतिरोध के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है।
सवाल पब्लिक का
1. रुपया 80 पार, महंगाई 7% पार, कौन जिम्मेदार ?
2. Pre-packaged फूड की GST पर देश को कौन गुमराह कर रहा?
3. संसद में गतिरोध विपक्ष की वजह से है या सरकार की वजह से?
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