Air India Sale: टाटा संस के लिए इससे बड़ी खबर क्या हो सकती है कि एयर इंडिया की घर वापसी हुई है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने कड़ी टक्कर में स्पाइस जेट को हराकर बोली जीत ली है। इस तरह के कयास पहले भी लगाए जा रहे थे कि एयर इंडिया पर टाटा संस की ही दावेदारी मजबूत है। इस डील को लेकर सरकार की भी बताई जा रही है।
सेक्रेटरी DIPAM का खास बयान
इस संबंध में सेक्रेटरी DIPAM ने कहा कि एआई विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों के अनुमोदन का संकेत देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं। सरकार के निर्णय के बारे में मीडिया को सूचित किया जाएगा जब यह लिया जाएगा।
2018 से एयर इंडिया को सेल करने की चल रही थी कोशिश
इकोनॉमिक टाइम्स की एक पूर्व रिपोर्ट में कहा गया है कि विस्तारा, एयरएशिया इंडिया, टाटा स्टील और इंडियन होटल्स के विलय विशेषज्ञों सहित टाटा के 200 से अधिक अधिकारियों को टाटा संस मर्जर एंड एक्विजिशन (एमएंडए) टीम के अलावा इस प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है।टाटा समूह ने किसी भी पूर्व-अधिग्रहण दावे के खिलाफ एक संप्रभु गारंटी की मांग की हो सकती है, जो एयर इंडिया को खरीदार के पक्ष में क्षतिपूर्ति के रूप में सामना करना पड़ता है, समय और मूल्य के संबंध में सीमित हो सकता है।
1932 में एयर इंडिया का हुआ था गठन
इस सौदे में एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100% हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50% शामिल है। एयर इंडिया की बिक्री सरकार के विनिवेश एजेंडे की आधारशिला है और इसकी देखरेख अमित शाह के नेतृत्व वाली समिति कर रही है। 1932 में जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की शुरुआत की थी। 1947 में सरकार ने 49 फीसद हिस्सेदार खरीद ली और 1953 में एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया गया और उसके बाद टाटा समूह ने सरकार ने बहुलांश हिस्सेदार खरीदी और इस तरह से एयर इंडिया पूरी तरह सरकारी कंपनी बन गई।
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