नई दिल्ली: टीम इंडिया ने गाबा में मंगलवार को 328 रन का लक्ष्य हासिल करके बेशक इतिहास रच दिया। टीम इंडिया ने इससे पहले कभी गाबा में टेस्ट नहीं जीता था और मेजबान टीम तो 32 साल से यहां अजेय थी। गाबा में सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य का रिकॉर्ड 236 रन था, जो ऑस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 1951 में हासिल किया था। कोई मेहमान टीम 200 से ज्यादा रन का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई थी। इंग्लैंड ने दिसंबर 1978 में 170 रन का लक्ष्य हासिल किया था, जो मेहमान टीम द्वारा गाबा में सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य का पीछा करने का रिकॉर्ड था।
भारतीय टीम ने एडिलेड में 2003-04 में 230 रन के लक्ष्य का पीछा किया था जो ऑस्ट्रेलिया में उसका सर्वश्रेष्ठ था। इसके अलावा भारत सिर्फ एक बार विदेश में 300 या ज्यादा रन के लक्ष्य का पीछा कर पाया था। इन चीजों को ध्यान रखा जाए तो टीम इंडिया की गाबा में जीत हर मायने में खास रही। चलिए आपको बताते हैं कि गाबा से पहले टीम इंडिया ने टेस्ट में 3 सबसे बड़े लक्ष्य का पीछा कब और किसके खिलाफ किया।
3) 276/5 बनाम वेस्टइंडीज (दिल्ली 2011)
संक्षिप्त स्कोर: वेस्टइंडीज (304 और 180) को भारत (209 और 276/5) ने 5 विकेट से रौंदा
टीम इंडिया ने नवंबर 2011 में मजबूत वेस्टइंडीज को दिल्ली टेस्ट में यादगार अंदाज में मात दी थी। 276 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम को इंडिया को फिडेल एडवर्ड्स, रवि रामपॉल और देवेंद्र बिशू का सामना करना था। हालांकि, वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण जैसे अनुभवी बल्लेबाजों ने सुनिश्चित करते हुए भारत को पांच विकेट की जीत दिलाई।
सहवाग (55) और गौतम गंभीर (22) ने 10 ओवर के अंदर 51 रन जोड़कर टीम को तेज शुरूआत दिलाई। वीरू ने जल्दी अर्धशतक पूरा किया। तेंदुलकर ने 148 गेंदों में 76 रन की उम्दा पारी खेली जबकि लक्ष्मण ने नाबाद 58 रन बनाकर टीम इंडिया की जीत पर मुहर लगाई। रविचंद्रन अश्विन ने इस टेस्ट में यादगार डेब्यू किया और कुल 9 विकेट (81/3 व 47/6) चटकाते हुए मैन ऑफ द मैच का खिताब हासिल किया।
2) 387/4 बनाम इंग्लैंड (चेन्नई 2008)
संक्षिप्त स्कोर: इंग्लैंड (316 और 311/9) को भारत (241 और 387/4) ने छह विकेट से मात दी
टीम इंडिया की चेन्नई में इंग्लैंड पर दिसंबर 2008 की जीत एक बेहद खास वजह से यादगार रही। न सिर्फ यह भारत का टेस्ट इतिहास में दूसरा सर्वश्रेष्ठ चेस था, लेकिन यह मुंबई में 26/11 आतंकी हमले के कुछ समय बाद आया था। इंग्लैंड की टीम हमले के कारण स्वदेश लौट गई थी और फिर कुछ समय बाद चेन्नई टेस्ट खेलने के लिए भारत लौटी। एंड्रयू स्ट्रॉस का दूसरी पारी में शतक और पॉल कोलिंगवुड की उम्दा पारी ने भारत के सामने 387 रन का विशाल लक्ष्य रखा।
एक बार फिर गंभीर और सहवाग ने भारत के लिए मंच तैयार किया। गंभीर ने जहां 139 गेंदों में 66 रन बनाए वहीं सहवाग ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और केवल 68 गेंदों में 83 रन बनाए। जब सहवाग आउट हुए तब भारत जीत से 260 रन दूर था। राहुल द्रविड़ (4) और वीवीएस लक्ष्मण (28) जल्दी-जल्दी आउट हुए। मगर सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर के सबसे शानदार शतकों में से एक जमाया। उन्हें युवराज सिंह का साथ मिला, जिन्होंने उम्दा अर्धशतक जमाया।
सचिन तेंदुलकर (103*) और युवराज सिंह (85*) ने पांचवें विकेट के लिए 163 रन की साझेदारी करके भारत को सबसे यादगार टेस्ट जीत दिलाई। सहवाग को शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
संक्षिप्त स्कोर: वेस्टइंडीज (359 और 271/6) को भारत (228 और 406/4) ने 6 विकेट से मात दी
टीम इंडिया के रिकॉर्ड 403 रन के लक्ष्य को शायद कोई नहीं तोड़ पाता, जिसने वेस्टइंडीज के खूंखार तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने त्रिनिदाद में अप्रैल 1976 में यह उपलब्धि हासिल की थी। एल्विन कालीचरण के नाबाद 103 रन की बदौलत भारत को टेस्ट मैच जीतने के लिए असाधारण लक्ष्य मिला था।
भारत की तरफ से सुनील गावस्कर (102) और अंशूमन गायकवाड़ (28) ने पहले विकेट के लिए 69 रन जोड़े। फिर गावस्कर ने मोहिंदर अमरनाथ के साथ दूसरे विकेट के लिए 108 रन की साझेदारी की। हालांकि, टीम इंडिया को तगड़ा झटका लगा जब शतक पूरा करने के बाद गावस्कर पवेलियन लौटे। तब भारत जीत से 226 रन दूर था। टीम इंडिया की उम्मीदें गावस्कर के आउट होने के साथ खत्म हो रही थी। हालांकि, मौजूदा भारतीय टीम के जैसे 1976 की टीम के सदस्यों ने भी कुछ अनोखा किया।
अमरनाथ और गुंडप्पा विश्वनाथ ने भारत की लोकप्रिय टेस्ट साझेदारियों में से एक की। अमरनाथ (85) और विश्वनाथ (112) ने 159 रन की साझेदारी करते हुए भारत को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया। दोनों ही बल्लेबाज रनआउट हुए। ब्रिजेश पटेल ने नाबाद 49 रन की पारी खेलकर भारत को टेस्ट में सबसे बड़ी लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत दिलाई।
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