मुंबईः पूर्व लद्दाख में चीनी सेना की हिंसात्मक हरकत से 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। उसके बाद से पूरे देश में चीन को लेकर गुस्सा है और धीरे-धीरे चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग तेज होती जा रही है। भारतीय क्रिकेट की बात करें, तो एक दिन पहले ही बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि आईपीएल के चीनी टाइटल स्पॉन्सर से वे नाता नहीं तोड़ने वाले। उन्होंने इसके लिए कई तर्क भी दिए थे, लेकिन देश में बढ़ते गुस्से को देखने के बाद आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक निर्धारित की गई है, जहां अगले हफ्ते प्रायोजकों व करार की समीक्षा की जाएगी।
इस समय चीनी मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर है और 2022 तक चलने वाली इस पांच वर्षीय करार के तहत बीसीसीआई को हर साल उससे 440 करोड़ रुपये मिलते हैं। पहले तो बीसीसीआई ने कहा कि इससे देश को फायदा होता है ना कि चीन को लेकिन चीन विरोधी माहौल के बाद अब बीसीसीआई के तेवर ढीले पड़ते दिख रहे हैं।
आईपीएल के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट पोस्ट किया गया, जिसमें लिखा है, 'बॉर्डर पर हुई झड़प जिसमें हमारे बहादुर जवान शहीद हो गए, इसको देखते हुए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने अगले हफ्ते आईपीएल के तमाम प्रायोजकों व करार की समीक्षा के लिए बैठक निर्धारित की है।'
गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भी कहा था कि वे भी अपनी चीनी प्रायोजकों से करार खत्म करने के लिए तैयार हैं। आईओए अधिकारियों द्वारा कहा गया था कि देश सर्वोपरि है और इसके लिए जो भी कदम जरूरी लगेगा, वो उठाया जाएगा।
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