पश्चिमी यूपी में रेप, हत्या और अपहरण के मामलों में आई भारी गिरावट, लॉकडाउन बनी वजह

Crime in Western UP: बैठक में मेरठ के एडीजी ने बताया कि पिछले दो महीने में उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं लेकिन यह शांतिपूर्ण रहा है। इस दौरान हिंसा की घटनाएं नहीं देखी गई हैं।

Crime rate down by 70% in western UP in April lockdown a major factor: Police
मेरठ जोन में लॉकडाउन के दौरान अपराध के मामलों में आई कमी।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन के दौरान मेरठ जोन में अपराध के मामालों में भारी गिरावट देखने को मिली
  • मेरठ जोन में बागपत, मेरठ, सहारनपुर, बुलंदशहर, हापुड़, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद आते हैं
  • पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया

नई दिल्ली : लॉकडाउन के दौरान पश्चिम उत्तर प्रदेश के अपराध में भारी कमी देखने को मिली है। मेरठ जोन की पुलिस के अनुसार इस साल अप्रैल में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में अपराध में 70 प्रतिशत तक की कमी आई है। इस इलके में पिछले महीने हत्या के 35 मामले दर्ज हुए जबकि साल 2019 में इसी अवधि के दौरान 50 मामले दर्ज हुए थे। डकैती के मामलों में भी कमी देखने को मिली है। डकैती के 114 केस सामने आए हैं जबकि पिछले वर्ष इसी समय के दौरान 992 मामले दर्ज हुए। अप्रैल 2020 में मरेठ जोन में अपहरण की 16 वारदातें और रेप के सात केस दर्ज हुए जबकि पिछले साल यह संख्या क्रमश: 110 और 34 थी।  पुलिस का मानना है कि अपराध के मामलों में आई कमी लॉकडाउन का नतीजा है।

बैठक में कई पुलिस अधिकारी हुए शामिल
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक देश भर के शीर्ष पुलिस अधिकारियों की एक बैठक में शामिल होते हुए मेरठ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान व्यवस्थित पुलिसिंग और लोगों के आवागमन पर रोक की वजह से अपराध में कमी होने में मदद मिली।' गृह मंत्रालय के थिंक टैंक ब्यूरो ऑफ पुलिस एंड रिसर्च डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) की ओर से आयोजित इस बैठक में कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद, पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता और भुवनेश्वर के सीपी सुधांशु सारंगी शामिल हुए। इस बैठक में लॉकडाउन के दौरान पुलिसिंग पर चर्चा हुई।

गत दो महीने में बड़ी संख्या में पहुंचे प्रवासी मजदूर 
बैठक में मेरठ के एडीजी ने बताया कि पिछले दो महीने में उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं लेकिन यह शांतिपूर्ण रहा है। इस दौरान हिंसा की घटनाएं नहीं देखी गई हैं। बता दें कि मेरठ जोन में बागपत, मेरठ, सहारनपुर, बुलंदशहर, हापुड़, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद आते हैं। इन सभी जिलों में कोरोना वायरस के करीब 1163 केस मिले हैं। यह संख्या राज्य के कुल कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की करीब 20 प्रतिशत है।

अधीनस्थों के साथ पुलिस संपर्क में रहे अधिकारी
कुमार ने कहा, 'इस बात से इंकार नहीं है कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों, राम मंदिर फैसला और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इन इलाकों में पुलिस बल की भारी तैनाती रही है। लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 के रोकथाम के प्रभावी उपायों के साथ एक व्यापक एसओपी तैयार करना जरूरी थी। संकट की इस घड़ी में पुलिसकर्मियों का मनोबल ऊंचा रखने के लिए पुलिस के अधिकारियों ने अपने अधीनस्थों से लगातार बातचीत और संपर्क में रहे।' 

पुलिस ने अपनाया सोशल डिस्टेंसिंग
अधिकारियों के मुताबिक  यूनिफॉर्म को साथ-सुथरा रखने के लिए मेरठ जोन की पुलिस लाइन में सेनेटाइजेशन टनल, वाशिंग मशीन और फ्रिज की व्यवस्था की गई। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि मेरठ जोन में पुलिस में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बेहतर तरीके से किया। ड्यूटी के दौरान उसने ग्लव्स और मास्क पहने जिसके चलते पुलिस में कोरोना के केवल दो पॉजिटिव केस मिले। बैठक में कुमार ने बताया कि निजामुद्दीन मरकज के आयोजन में इस इलाके से जमात के 1581 सदस्य शामिल हुए थे। इनमें से 180 विदेशी थे। 
 

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