नई दिल्ली. निर्भया के चारों गुनहगारों की फांसी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। डेथ वारंट के मुताबिक तीन मार्च को निर्भया के चारों दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में 26/11 को दोषी अजमल कसाब का भी छोटा सा रोल है।
निर्भया के चारों दोषियों- पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और मुकेश सिंह को साल 2013 में पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद साल 2014 में हाईकोर्ट और साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे जारी रखा था।
हाईकोर्ट में दलील देते हुए दोषियों के वकील ने कहा था कि इन चारों गुनहगारों की उम्र काफी कम है। इसके अलावा इनकी सामाजिक और आर्थिक हालत काफी खराब है। ऐसे में इन लोगों को सुधरने का मौका मिलना चाहिए।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कही थी ये बात
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दोषियों की वकील ने इनकी कम उम्र, उनकी समाजिक और आर्थिक स्थिति, उन्हें सुधरना का मौका देने की दलील दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही परिस्थितियों में पहले भी फांसी की सजा सुना चुकी है।
हाईकोर्ट ने ऐसे मामले में सबसे पहले अजमल आमिर कसाब के केस का उदाहरण दिया है। इसके अलावा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चारों की हैवानियत ने समाज की अंतर आत्मा को झकझोर दिया है।
पवन गुप्ता के क्यूरेटिव पेटिशन पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। इसके अलावा पवन के पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल करने का भी ऑप्शन बचा हुआ है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट को इन तीनों को अलग-अलग फांसी देने पर फैसला सुनाना है।