Black Fungus: दिल्ली में पैर पसारा रहा है 'ब्लैक फंगस', बढ़ रहे केस,बीमारी के शिकार एक शख्स की मौत

Black Fungus Cases increase in delhi:दिल्ली में बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले इसको लेकर डॉक्टरों ने स्टेरॉयड के अतार्किक उपयोग को जिम्मेदार ठहराया है।

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प्रतीकात्मक फोटो 
मुख्य बातें
  • राजधानी दिल्ली में इस बीमारी के शिकार शख्स की मौत हो गई
  • उनके चेहरे पर सूजन था और उसकी आंखे लाल थी और नाक से खून भी बहने की शिकायत थी
  • दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना संक्रमण से उबर रहे लोगों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़े

नयी दिल्ली: राजधानी दिल्ली (Delhi) में ब्लैक फंगस से मौत का पहला मामला दर्ज किया गया है इस बीमारी के शिकार शख्स की मौत हो गई है दिल्ली स्थित मूलचंद अस्पताल में ये केस आया था गौर हो देश में कोरोना मामलों की संख्या में थोड़ी गिरावट आने की खबरों के बीच अब अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मामलों ने आम लोगों के अलावा सरकार को भी परेशान करना शुरू कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्लैक फंगस के एम्स में करीब 70 से ज्यादा मामले मैक्स अस्पताल में करीब 50 और अपोलो अस्पताल में भी करीब 8 मामले सामने आए हैं।वहीं राजधानी दिल्ली में इस बीमारी के शिकार शख्स की मौत हो गई है।

बताया जा रहा है कि इस मरीज को हाल ही में मूलचंद अस्पतताल लाया गया, इस दौरान उनके चेहरे पर सूजन था और उसकी आंखे लाल थी और नाक से खून भी बहने की शिकायत थी, टेस्ट में ब्लैक फंगस का मामला सामने आया,डॉक्टर ने बताया कि सर्जरी होने के बाद मरीज को कार्डिएक अरेस्ट हुआ और उसकी डेथ हो गई।

वहीं इस मामले पर  चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में इस संक्रमण से उबर रहे लोगों में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़े हैं और इसकी वजह बिना डॉक्टर के परामर्श के घर में स्टेरॉयड का 'अतार्किक' सेवन संभव है।

कम प्रतिरक्षा वाले लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस अधिक देखने को मिलता है

यह कवकीय संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और 'साइनस' को प्रभावित करता है तथा मधुमेह के रोगियों एवं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए जानलेवा हो सकता है।इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के नाक-कान-गला रोग चिकित्सक डॉ. सुरेश सिंह नरूका ने कहा कि मधुमेह, वृक्क रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था आदि से कम प्रतिरक्षा वाले लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस अधिक देखने को मिलता है।

 ब्लैक फंगस से मृत्युदर 75 फीसद

उन्होंने कहा , 'यदि ऐसे रोगियों को स्टेरॉयड दिया जाता है तो उनकी प्रतिरक्षा और घट जाती है तथा कवक को पनपने का मौका मिल जाता है।'उन्होंने कहा कि कोविड-19 महज एक फीसद संक्रमितों की जान लेता है जबकि ब्लैक फंगस से मृत्युदर 75 फीसद है।उन्होंने कहा कि म्यूरकोरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के भी गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इनकी वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं, स्नायुतंत्र से जुड़े रोग और ह्रदयाघात हो सकता है।

'यह गंभीर बीमारी है और उसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है'

सर गंगाराम अस्पताल के नाक-कान-गला रोग विभाग के प्रमुख डॉ. अजय स्वरूप ने म्यूकोरमाइकोसिस 'भयावह' करार देते हुए कहा, 'हमारे पास 35 से अधिक मामले हैं जिनमें 10 कोविड संक्रमित हैं। बाकी को कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद कवकीय संक्रमण हुआ।' उन्होंने कहा कि यह गंभीर बीमारी है और उसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, यदि प्रारंभ में पता चल जाए को ऑपरेशन की जरुरत नहीं पड़ सकती है ।

'इस सबके लिए जिम्मेदार कारक स्टेरॉयड का बेतहाशा इस्तेमाल'

उन्होंने कहा कि कवक संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी लिपोसोमल अधिकतर दवा दुकानों पर अनउपलब्ध है। मैक्स अस्पताल के ईएनटी प्रमुख डॉ. सुमित मृग ने कहा कि पिछले तीन चार दिनों में उनके यहां इसके 15-20 मामले आये हैं। उन्होंने कहा, '.... हमने 14-15 रोगियों की सर्जरी की और चार से पांच रोगियों की सर्जरी मंगलवार को प्रस्तावित थी। इस सबके लिए जिम्मेदार कारक स्टेरॉयड का बेतहाशा इस्तेमाल है, बहुतायत में लोगों ने बिना डॉक्टर के परामर्श के इसे लिया है।'

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