Delhi Smog Tower: राजधानी दिल्ली और आस-पास के शहरों में दिवाली के अगले दिन से ही वायु प्रदूषण ने हाल बेहाल कर रखा है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता रविवार को 'गंभीर' श्रेणी से सुधरकर 'बेहद खराब' की श्रेणी में पहुंच गयी और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 338 दर्ज किया गया। ऐसे में उन स्मॉग टावर को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जिनको इसलिए लगाया था कि इससे हवा साफ होगी।
कनॉट प्लेस में एक स्मॉग टॉवर के संचालक मोहसिन ने बताया कि स्मॉग टॉवर के साथ बाहरी वायु प्रदूषण की तुलना में क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्तर में 50-70% तक सुधार हुआ है। टॉवर के संचालन का समय लगभग 24 घंटे है, लेकिन गर्म होने के कारण हम 3-4 घंटे का ब्रेक लेते हैं। स्मॉग टॉवर के एक किलोमीटर के दायरे के बाहर के प्रदूषण की तुलना में क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्तर में 50-70% तक सुधार हुआ है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली सरकार से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा और जानना चाहा कि क्या उसके द्वारा लगाए गए स्मॉग टावर काम कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से पूछा कि दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसने स्मॉग टावर लगाए हैं। क्या ये काम कर रहे हैं? मेहरा ने पीठ से कहा कि स्मॉग टावर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 30 सितंबर को एक्यूआई 84 था और अब यह 474 हो गया है। हमने संख्या में 390 की वृद्धि कर दी है। यह एक दिन में 20 सिगरेट पीने जैसा है, भले ही आप धूम्रपान न करते हों। हालांकि यह अदालत कई अन्य कारकों पर गौर करेगी, यह शायद पराली जलाना है। अगर पूसा के लोग इसे देख सकें।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कनॉट प्लेस में देश के पहले स्मॉग टॉवर का उद्घाटन किया था और कहा था कि यह एक मील का पत्थर साबित होगा तथा यदि प्रायोगिक परियोजना के अच्छे परिणाम मिलते हैं तो शहर में ऐसे कई ढांचे स्थापित किए जा सकते हैं। यह देश में इस तरह का पहला स्मॉग टॉवर है। यह एक नयी तकनीक है। हमने इसे अमेरिका से आयात किया है। यह संरचना ऊपर से प्रदूषित हवा को सोख लेगी और नीचे से स्वच्छ हवा छोड़ेगी। यह प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करेगी।
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