नई दिल्ली: पिछले साल दिल्ली में हुई हिंसा को एक साल पूरा हो गया है। पिछले साल 23 फरवरी को ही दिल्ली के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें अगले कुछ दिनों तक दिल्ली खूब जली थी। इस हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। उस समय हालात ऐसे थे कि लग रहा था कि शुरुआत के 2-3 दिनों तक हालातों पर काबू नहीं पाया गया था। ऐसे में बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने पूरे मोर्चा को संभालने की कोशिश की।
डोभाल ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया। उन्होंने लोगों के मन से डर और भय दूर करने की कोशिश की। डोभाल मौजपुर की गलियों में दाखिल हुए और स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि 'स्थिति शांतिपूर्ण है और लोग खुश है संतुष्ट हैं।'
'अमन कायम होगा'
उन्होंने कहा था, 'मैं इस इलाके में सभी लोगों से मिला। पुलिस यहां मुस्तैदी से तैनात है। पुलिस की जिम्मेदारा है कि वह हर एक को महफूज रखे। मुझे यहां प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने भेजा है। पीएम और गृह मंत्री यहां अमन देखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि यहां अमन कायम हो। यहां लोगों का व्यवहार देखकर मुझे यकीन हो गया है कि यहां शांति लौटेगी।'
पुलिस को भी दिए थे मंत्र
एनएसए ने तब हालातों से निपट पाने में पूरी तरह नाकाम रही दिल्ली पुलिस को कुछ 'मंत्र' भी दिए थे। न्यूज एजेंसी IANS की तब की रिपोर्ट के अनुसार, डोभाल ने पुलिस के आला अधिकारियों से पूछा था कि हालात आखिर इतने बिगड़ने की नौबत कैसे आई? डोभाल के इस सवाल पर पुलिस निरुत्तर थी। डोभाल ने दो टूक पुलिस को जो कुछ समझाया उसका लब्बोलुआब यही था कि जो हुआ उससे आगे बढ़ो। अब सख्ती से पेश आओ, ताकि हिंसा पर उतारु लोगों को न अफवाह फैलाना का मौका मिले न ही कोई और जघन्य घटना या हिंसा हो पाए। डोभाल ने पुलिस को यह बार-बार चेताया, 'पीछे क्या हुआ भूलो, आगे आरोपियों को दबोचने और कोई नई घटना न घटे, यह पुलिस सुनिश्चित कर ले।'
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