नई दिल्ली। अगर आप 25 के ना होते और दिल्ली में शराब पीने के दौरान पकड़े जाते तो सजा हो जाती । लेकिन अब 25 वर्ष से कम उम्र के लोग अपनी शौक पूरी कर सकते हैं। दरअसल दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति में शराब पीने की न्यूनतम उम्र को घटाकर 21 वर्ष कर दिया गया है। यही नहीं सरकार ने सरकारी शराब की दुकानों को खत्म करने का फैसला किया है यानी कि सरकार अब शराब नहीं बेचेगी। लेकिन इन दोनों फैसलों के पीछे मुख्य आधार क्या है इसे समझना जरूरी है।
पड़ोसी राज्य और राजस्व क्षति की वजह से नियम में बदलाव
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर पड़ोसी राज्य यूपी की करें तो वहां शराब पीने की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है। इसके साथ ही यह पाया गया कि शराब की सरकारी दुकानें दिल्ली के 272 वार्ड्स में बेतरतीब तरीके से हैं। यानी कि कुछ वार्डों में दुकानें ज्यादा हैं तो कुछ जगहों पर ना के बराबर है। इसके साथ ही बेनामी दुकानों की वजह से राजस्व की क्षति हो रही है। इन दो प्रमुख वजहों से सरकार को आबकारी नीति बदलने के लिए बाध्य होना पड़ा।
ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिशों का जिक्र
मनीष सिसोदिया ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिशों के बारे में बताते हुए कहा कि दिल्ली में शराब माफिया पर शिकंजा कसने के लिए एक्साइज पॉलिसी में बदलाव का बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी में बदलाव करके उन सारे फैक्टर को हटाया जा रहा है जो शराब माफियाओं को उनके अवैध कारोबार को फलने फूलने में मदद देते थे।
राजस्व बढ़ने की उम्मीद
आबकारी नीति में बदलाव से टैक्स चोरी रुकेगी और सरकार की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। रेस्टोरेंट और शराब इडस्ट्री को भी फायदा होगा। सरकार को 20 फीसदी ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि 5 फीसद राजस्व में इजाफा होता है। लेकिन जब आप एक नई नीति के साथ मैदान में उतरते हैं तो उसका असर अलग ही होता है। 1500 से 2000 करोड़ तक का राजस्व बढ़ सकता है।
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