Book review Ruk Jaana Nahi: ‘रुक जाना नहीं’ किताब हाल के दिनों में युवाओं में बहुत लोकप्रिय रही है। युवा IAS अधिकारी और लेखक निशान्त जैन की यह किताब मूल रूप से हिन्दी में लम्बे समय बाद लिखी गई एक ‘सेल्फ़-हेल्प’ किताब है। Amazon की Best Reads सूची में इस किताब ने कई बार जगह बनाई है।
हिंदयुग्म प्रकाशन/ एका (वेस्टलैंड) से आई 160 पेज की यह किताब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई है। इस किताब में कोशिश की गई है कि हिंदी पट्टी के युवाओं की ज़रूरतों के मुताबिक़ कैरियर और ज़िंदगी दोनों की राह में उनकी सकारात्मक रूप से मदद की जाए। इस किताब के छोटे-छोटे लाइफ़ मंत्र इस किताब को खास बनाते हैं। ये छोटे-छोटे मंत्र जीवन में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।
इस किताब की कुछ और ख़ासियतें भी हैं। इसमें पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के प्रैक्टिकल नुस्ख़ों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट पर भी विस्तार से बात की गई है। चिंतन प्रक्रिया में छोटे-छोटे बदलाव लाकर अपने करियर और जिंदगी को काफी बेहतर बनाया जा सकता है।
विद्यार्थियों के लिए रीडिंग और राइटिंग स्किल को सुधारने पर भी इस किताब में बात की गई है। कुल मिलाकर किताब में कोशिश की गई है कि सरल और अपनी सी लगने वाली भाषा में युवाओं के मन को टटोलकर उनके मन के ऊहापोह और उलझनों को सुलझाया जा सके।
इस मोटिवेशनल किताब में असफलता को हैंडल करने और सफलता की राह पर बढ़ते जाने कुछ नुस्ख़े भी सुझाए हैं। ऐसे 25 युवाओं की सफलता की शानदार कहानियांं भी उन्हीं की ज़ुबानी इस किताब के अंत में शामिल हैं, जिन्होंने तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद ‘रुक जाना नहीं’ का मंत्र अपनाकर सफलता की राह बनाई और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने।
गांवों- छोटे शहरों से मन में बड़ी उम्मीदें लिए बड़े शहरों का रूख करने वाले हिंदी पट्टी के लाखों युवाओं के मन में कुछ बड़ा कर दिखाने का सपना पल रहा होता है। ऐसा ही एक बड़ा सपना निशान्त जैन ने देखा और ‘हिंदी मीडियम’ से होने के बाद भी UPSC में ऊंची रैंक के साथ उस सपने को साकार कर दिखाया।
UPSC परीक्षा में हिंदी मीडियम के टॉपर निशान्त जैन का जन्म यू.पी. के मेरठ में एक साधारण परिवार में हुआ। मेरठ कॉलेज से एम.ए. और DU से एमफिल के बाद दो साल लोक सभा सचिवालय में नौकरी भी की। 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्हें 13वीं रैंक मिली और वह हिंदी मीडियम के ‘यूथ आइकन’ बनकर उभरे।