केरल की रहने वाली एनीस कनमनी जॉय ने आईएएस बनने के लिए जो कर दिखाया है उसके बाद शायद कुछ और नहीं बचता। देश की सबसे बड़ी और सबसे कठिन परीक्षा को पास करने के लिए एनीस के पास कुछ भी स्टडी मेटेरियल नहीं था। केरल के पिरवोम के छोटे से गांव पंपाकुड़ा की रहने वाली एनिस के पिता किसान हैं और मां खेतों में श्रमिक का काम करती हैं। घर में केवल खाने-पीने का इंतजाम हो जाना ही बहुत माना जाता था, ऐसे में उनकी पढ़ाई के लिए कुछ भी स्टडी मेटेरियल नहीं होता था। बावजूद इसके वह अपने दूसरे प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर 65वां स्थान पा गईं।
दसवीं तक तक तो एनीस अपने गांव में ही पढ़ीं, लेकिन 12वी क लिए वह एर्नाकुलम आ गईं। एनीस की इच्छा डॉक्टर बनने की थी लेकिन वह यह सपना पूरा नहीं कर सकीं। उनका चयन एमबीबीएस में नहीं हो सका और अंत में उन्होंने बीएससी नर्सिंग में अपनी पढ़ाई की और नर्स बन गईं। हालांकि नर्स बन कर उनका मन खुश नहीं था। वह ऐसा कुछ करना चाहती थी जिसमें मान-सम्मान के साथ वह दूसरों के मदद के लिए भी कुछ कर सकें।
एक बार एनीस कहीं जा रहीं थी और ट्रेन में उन्हें दो लोग मिले जिनसे उनकी पढ़ाई के संबंध में बात हो रही थी। एनीस को इन दोनों ही लोगों ने बताया कि उन्हें आईएएस परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। ये परीक्षा कठिन जरूर है लेकिन इसमें उनके जैसे मेहनती लोग ही सफल होते हैं। तब तक एनीस के ये नहीं पता था कि आईएएस परीक्षा किसी भी सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन के बाद दी जा सकती है। इस जानकारी के बाद वह अपना फोकस यूपीएससी परीक्षा पर केंद्रित कर दीं।
इस परीक्षा की तैयारी में एनीस के सामने सबसे बड़ी समस्या किताबों और प्रतियोगी मैग्जीन्स का अभाव था। इसके बिना परीक्षा की तैयारी उनके लिए एक दूर की कौड़ी साबित हो रही थी, लेकिन एनीस ने तय किया कि वह न्यूज पेपरों के जरिये ही अपनी तैयारी करेंगीं और उनकी ये सोच पहले प्रयास में तो नहीं लेकिन दूसरे प्रयास में जरूर रंग ला दी।
एनीस बताती हैं कि उन्होंने न्यूज पेपर्स के एडिट पेज और करेंट अफेयर पर अपना सबसे ज्यादा फोकस रखा। तमाम योजनाओं और सुविधाओं के साथ उन्हें कई और जानकारी भी मिलती रही। हालांकि पहले प्रयास में एनीस का यूपीएससी में 580 रैंक थी जबकि दूसरी बार में वे 65वीं रैंक पर आ कर आईएएस बनन का सपना पूरा कर लीं।