नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने जिस तरह महिलाओं को फोकस करते हुए अपनी रणनीति बनाई है। और 40 फीसदी महिला उम्मीदवार खड़ा करने का वादा कर, राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा करने की कोशिश की है। ऐसा ही कुछ वह उत्तराखंड में करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने इस बार घोषणा पत्र बनाने के लिए नई पहल की है। नेतृत्व ने अपने ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (AIPC)इकाई को फीडबैक लेने का काम सौंपा है।
पार्टी इसके तहत डॉक्टर, सीए, आईटी क्षेत्र से जुड़े लोग, शिक्षक, वकील जैसे प्रोफेशनल्स के जरिए राज्य की जनता से घोषणा पत्रा के लिए फीडबैक ले रही है। कोशिश यह है कि वह जनता के सामने यह पेश कर सके कि पार्टी ने जनता की जरूरत को समझते हुए घोषणा पत्र तैयार किया है। और अगर उसकी सरकार बनती है तो वह प्रदेश की जनता की जरूरतों को समझते हुए काम करेगी।
क्या है योजना
घोषणा पत्र के लिए फीडबैक लेने की रणनीति पर ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस की स्टेट प्रेसिडेंट (राजस्थान) रुक्क्षमणी कुमारी टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहती हैं 'कांग्रेस पार्टी ने ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस की राजस्थान और छत्तीसगढ़ इकाई को उत्तराखंड में घोषणा पत्र के लिए आम जनता का फीडबैक लेना का जिम्मा सौंपा है।
इसके तहत राजस्थान इकाई को गढ़वाल क्षेत्र और छत्तीसगढ़ इकाई को कुमायूं क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। आईपीसी ने इसके तहत 5-5 सदस्यों की टीम बनाई है। जिसमें दो प्रोफेशनल्स और 3 स्थानीय कार्यकर्ता को शामिल किया गया है।
प्रोफेशनल्स की टीम में डॉक्टर, आईटी सेक्टर के लोग, वकील, शिक्षक, सीए आदि सभी प्रमुख क्षेत्रों के 100-120 प्रोफेशनल्स शामिल हैं। ये लोग पिछले 9 दिन से सभी 70 विधानसभाओं में जाकर लोगों से मिल रहे हैं। इसके लिए हमारी टीम सुदूर गांव जाकर भी लोगों से मिल रहे हैं। इसके जरिए हम करीब 10-20 हजार लोगों के बीच घोषणा पत्र किस तरह का हो, उस पर उनकी राय ले रहे हैं। इसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दों पर महिलाओं,युवा, वरिष्ठ नागरिकों सहित समाज के सभी वर्गों से मशविरा लिया जा रहा है। हमारी टीम 12 दिसंबर तक अपना फीडबैक रिपोर्ट पेश करेगी।'
कांग्रेस को दिख रही है बड़ी उम्मीद
असल में जिस तरह से भाजपा ने पिछले 5 साल में तीन मुख्यमंत्री बनाए हैं। और किसान आंदोलन, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे से राजनीतिक समीकरण बदले हैं, उसे देखते हुए पार्टी को राज्य में सत्ता में वापसी की जिस राज्य में सबसे ज्यादा उम्मीद दिख रही है, वह उत्तराखंड है। क्योंकि वहां पर पुराने ट्रैक रिकॉर्ड और बदले समीकरण से पार्टी की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
इसके अलावा जिस तरह से ब्राह्मणों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए देवस्थानम बोर्ड को सरकार ने चुनाव के ठीक पहले भंग किया है। उसे देखते हुए भी पार्टी की उम्मीद है कि ब्राह्मण तबके का भी उसे चुनावों में समर्थन मिलेगा।
2017 में भाजपा को मिला था प्रचंड बहुमत
साल 2017 के विधान सभा चुनावों में भाजपा ने राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 56 सीटों पर जीत हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था। यह राज्य में अब तक के इतिहास में किसी भी दल के लिए सबसे बड़ा जीत थी। चुनावों में कांग्रेस के खाते में बस 11 सीटें ही आई थी। भाजपा की जीत का आलम यह था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों सीटों से भाजपा उम्मीदवार से हाj गए थे।