नई दिल्ली: साल 2020 के साथ ही ये साल 2021 भी कोरोना के कहर की मार से जूझ रहा है, भारत समेत पूरी दुनिया कोरोनावायरस से काफी प्रभावित हुई है जिसने बड़े-बड़े देशों के तंत्रों को हिला कर रख दिया है। पिछले साल से लेकर अब तक कोरोनावायरस कई बार म्यूटेट हुआ है और इसके वेरिएंट्स ने भयंकर तबाही मचाई है। एक बार फिर से कोरोनावायरस का नया वेरिएंट सामने आया है जिसको लेकर भारत में लोगों की चिंता और बढ़ गई है। भारत के लोगों द्वारा यह चिंता जताई जा रही है कि कहीं यह नया वेरिएंट फिर से भारत में खतरे के काले बादल ना ले आए। वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस नए वेरिएंट का नाम डेल्टा प्लस है और यह डेल्टा या B.1.617.2 वेरिएंट का म्युटेंट है जिसे 'AY.1' भी कहा जाता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वर्ष जिन वेरिएंट्स के वजह से भारत में कोरोनावायरस का दूसरा लहर आया था उसका जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट भी है भारत में यह एक चिंता का विषय बना हुआ है लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि नया वेरिएंट कितना हानिकारक साबित हो सकता है।
जानकार बताते हैं कि K417N के म्यूटेट होने के चलते B.1.617.2 बना है जिसे AY.1 भी कहा जाता है। जानकार बताते हैं कि, यह नया वेरिएंट सार्स-सीओवी-2 का स्पाइक प्रोटीन है जो इंसान के सेल के अंदर घुसकर उसे इनफेक्ट करता है। भारत में K417N की फ्रीक्वेंसी इस समय अभी ज्यादा नहीं है लेकिन यूरोप, एशिया और अमेरिका में इस वेरिएंट का खतरा अधिक है। यह वेरिएंट सबसे पहले यूरोप में इस वर्ष मार्च में पाया गया था।
जानकार बता रहे हैं कि डेल्टा प्लस भारत में कोविड-19 के लिए ऑथराइज्ड मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का प्रतिरोधी है। हाल ही में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से Casirivimab और Imdevimab के कॉकटेल को इमरजेंसी यूज के लिए अथॉरिटी मिली थी। भारत में यह कॉकटेल बनाने वाले Roche India और Ciplas ने इन एंटीबॉडी कॉकटेल का दाम एक डोज के लिए करीब 60 हजार के आस-पास तय किया है।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज लैब में आर्टिफिशियल तरीके से बनाया जाता है जो इस डिजीज के खिलाफ प्रभावी साबित होता है। Casirivimab और Imdevimab के मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज इस वायरस को इंसान के सेल में प्रवेश करने से ब्लॉक करता है। यह नया म्यूटेशन इंसान के इम्यून रिस्पांस से बच निकलने में सक्षम हो सकता है।
यह वेरिएंट कितना संक्रामक है इसका पता लगाना बेहद जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह कितने तेजी से फैल सकता है। जानकार यह मानते हैं कि, इस नए म्यूटेशन से संक्रमित लोगों के अंदर बनने वाले न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज की क्वालिटी और क्वांटिटी इस नए वेरिएंट से प्रभावित नहीं हो सकती है। इसीलिए अगर कोई इंसान इस वेरिएंट से संक्रमित होता है यह चिंता का विषय नहीं होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी इस नए वेरिएंट के वजह से भारत में खतरे की घंटी नहीं है।