नयी दिल्ली: सरकार ने देश में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप की वजह से तेजी से फैली कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन का संदर्भ देते हुए मंगलवार को कहा कि कोविशील्ड महामारी से 93 प्रतिशत सुरक्षा देता है और मृत्युदर को 98 प्रतिशत घटाता है।
वी के पॉल ने कहा, '93 प्रतिशत सुरक्षा देखी गई (जिन लोगों को कोविशील्ड टीका लगाया गया) और यह दूसरी लहर के दौरान था जो डेल्टा वायरस की वजह से फैली थी…मृत्युदर में भी 98 प्रतिशत की कमी देखी गई।'
कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में टीकों की उपयोगिता पर जोर देते हुए पॉल ने कहा कि टीका लगवाने से संक्रमण कम होता है लेकिन यह पूर्ण गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा, 'कोई टीका यह गारंटी नहीं देता कि संक्रमण नहीं होगा लेकिन गंभीर बीमारी रोकी जाती है और लगभग खत्म हो जाती है। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि कृपया सजग रहें, सतर्क रहें और हमारे टीकों पर भरोसा रखने के साथ ही आने वाले हफ्तों और महीनों को लेकर सावधान रहें।'
सरकार ने बताया कि कोविशील्ड टीके की दोनों खुराकों के मध्य समयावधि का अंतराल बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ समूह द्वारा की गई सिफारिश पारदर्शी तरीके से वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित थी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह की बैठक में किसी भी सदस्य ने सिफारिश के संबंध में कोई असहमति नहीं जताई थी।
एनटीएजीआई के कोविड कार्यकारी समूह ने कोविशील्ड टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच अंतराल बढ़ा कर 12 से 16 सप्ताह करने की सिफारिश खास तौर पर ब्रिटेन से प्राप्त वैज्ञानिक प्रमाण और विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक दिशा-निर्देश पर आधारित थी।पवार ने बताया कि इस सिफारिश पर विचार किया गया और 'कोविड-19 के लिए टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह' (एनईजीवीएसी) ने भी यह सिफारिश की। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने कोविशील्ड टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच अंतराल बढ़ा कर 12 से 16 सप्ताह करने की यह सिफारिश स्वीकार कर ली।