Fibroids: यूट्रस में फाइब्रॉएड की वजह से आ सकती है प्रेग्नेंसी में दिक्कत, परेशानी दूर करेंगे ये घरेलू उपाय

हेल्थ
Updated Oct 03, 2019 | 07:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

महिलाओं में गर्भाशय (Uterus) से जुड़ी एक बेहद आम समस्या होती है फाइब्रॉएड (Fibroids). 

 Fibroids
Fibroids  |  तस्वीर साभार: Getty Images
मुख्य बातें
  • महिलाओं की आम बीमारी है फाइब्रॉएड
  • फाइब्रॉएड के लक्षण पहचान कर इलाज करें
  • फाइब्रॉएड बांझपन का कारण बन सकता है

फाइब्रॉएड कि समस्या जब शुरू होती है तो यह तुरंत समझ नहीं आती। क्योंकि इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि महिलाएं इसे समझ नहीं पातीं। किसी को अनियमित पीरियड्स की शिकायत हो जाती है तो किसी को हैवी ब्लडिंग कि दिक्कत। कई बार ऐसा भी होता है कि पेट में भारीपन महसूस होता है। ये लक्षण सामान्य समझ कर महिलाएं नजरअंदाज करती हैं जबकि यह फाइब्रॉएड के लक्षण होते हैं। यदि लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो बांझपन तक का कारण यह बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि यह जाना जाए कि फाइब्रॉएड है क्या और क्यों होता है। यदि हो जाए तो इसके सामान्य लक्षण क्या हैं।

साथ ही इसके उपचार और घरेलू नुस्खे भी जान लेना चाहिए। इसका इलाज आसान है लेकिन समय पर इलाज होना जरूरी है। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकतर महिलाओं को फाइब्रॉएड के बारे में पता ही नहीं होता।

गर्भाशय में एक या एक से ज्यादा गाठें फाइब्रॉएड या रसौली कहलाता है

यूट्रस में गांठ
फाइब्रॉएड गर्भाशय में मांसपेशियों व कोशिकाओं की एक या एक से अधिक गांठ होता है। एक तरह का ये गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला ट्यूमर है। ये शुरुआत में सेब के बीज के आकार को हातो है जा बढ़कर अंगूर से भी बड़ा हो सकता है। हांलांकि ये ट्यूमर कैंसर कारक नहीं होते।

यूट्रस फाइब्रॉएड के कारण
आनुवंशिक कारण से भी यह समस्या होती है। यदि मां को यह समस्या रही हो तो बेटी में इसे होने की समस्या तीन गुना ज्यादा होती है।
मोटापा एक बड़ा कारण है। मोटी महिलाओं में फाइब्रॉएड होने की आशंका तीन गुना ज्यादा होती है।
रेड मीट या जंक फूड अगर आप ज्यादा लेती हैं तो आप इस बीमारी कि शिकार जल्दी होंगी। एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो जाते हैं। यदि विटामिन-डी की कमी हो और शरीर में आयरन ज्यादा हो तो फाइब्रॉएड की संभावना ज्यादा होती है।

यूट्रस फाइब्रॉएड के लक्षण पहचानें

  • पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग कि समस्या होना और पेट में तेज दर्द।
  • एनीमिया या रेड ब्लड सेल कोशिकाओं का काम होना।
  • पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना
  • पेट के निचले हिस्से में सूजन बनी रहना।
  • बार-बार यूरिन आना या महससू होना।
  • इंटरकोर्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
  • कमर के निचले हिस्से में हमेशा दर्द बने रहना।
  • बांझपन, प्रेग्नेंसी में दिक्कत, बार-बार गर्भपात होना।

यूट्रस फाइब्रॉएड (रसौली) के घरेलू उपचार

  • लहसुन की तीन से पांच कलियां,एक गिलास दूध साथ लेना शुरू कर दें।
  • दो चम्मच सेब का सिरका हल्के गुनगुन पानी में अच्छी तरह मिलाएं पिएं।
  • एक से तीन ग्राम हल्दी की जड़ का जूस पीएं।
  • एक चम्मच आंवला पाउडर और एक चम्मच शहद रोज सुबह खाली पेट सेवन करें।
  • ग्रीन टी को सिप करके पींए। दिन मे दो कप पीने की आदत डालें।
  • एक गिलास दूध को उबालें और उसमें एक चम्मच धनिया पाउडर, एक चम्मच हल्दी पाउडर,एक चम्मच त्रिफला पाउडर मिला कर गुनगुना कर पीएं।
  • एक गिलास पानी में एक चम्मच सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर मिला कर उसे 15 मिनट तक उबालें फिर छान कर पी लें।

पीरियड्स में दिक्कत आते ही इसकी जांच कराएं और घरेलू उपचार में किसी एक ही उपाय को लंबे समय तक पालन करें।

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