रत्‍नों से संभव है कई बीमार‍ियों का इलाज, जानें कैसे करता है ये रोगों का नाश

हेल्थ
Updated Nov 24, 2019 | 07:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कुछ रत्न (gemstones) न केवल ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों की चाल को तेज या प्रभाव को कम करते हैं, बल्कि इन रत्नों के भस्म (gemstone ash) या पिष्टि (gemstone pesti) का प्रयोग चिकित्सा के रूप में भी फायदेमंद है।

रत्‍नों से संभव है औषधीय उपचार, जानें कैसे करें रोगों का नाश
Health Benefits of Gemstones : रत्नों की भस्म शरीर के कई रोग का नाश करती है  |  तस्वीर साभार: Getty Images

रत्न विज्ञान बहुत ही व्यापक है और यही कारण है कि रत्नों का प्रयोग केवल ज्योतिष शास्त्र तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि इनकी षिष्टि का प्रयोग चिकित्सा में भी सदियों से होता रहा है। प्राचीन काल में स्वर्ण, चांदी और मोतियों के भस्म का प्रयोग शक्तिकारक और कई रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाते थे। हजारों वर्षों से वैद्य रत्नों की भस्म और हकीम रत्नों की षिष्टि का प्रयोग चिकित्सा के लिए भी होता आया है। 

रसराज समुच्चय में तो इतना तक उल्लेख है कि यदि कोई
मराणासन्न अवस्था में हो और उसे यदि हीरे की भस्म की एक खुराक चटा दी जाए तो वह वापस से जीवित हो सकता है। यानी इन भस्मों या पिष्टियों में केवल बेशुमार ताकत ही नहीं बल्कि कई औषधिय गुण भी भरे हुए हैं। आइए आज जानें कि किन रत्नों से किस रोग का उपचार संभव है।

कैसे होगा रत्न से रोगों के उपचार/ Gemstone Therapy

हीरे की भस्म : हीरे का सही प्रयोग आपको कई रोगों से बचा सकता है। हीरे के भस्म में बहुत से औषधिय गुण होते है। टीबी की समस्या में हीरे की भस्म का प्रयोग सदियों से होता रहा है। साथ ही डायबिटीज, पाइल्स, अनिमिया, शरीर में होने वाली सूजन और जलोदर रोग में इसके भस्म का प्रयोग बहुत कारगर होता है। इतना ही नहीं जिन पुरुषों के वीर्य में कमजोरी हो उन्हें भी हीरे की भस्म देनी चाहिए। इससे नपुंसकता का भी नाश होता है।

माणिक्य भस्म : नपुंसकतानाशक होने के साथ ही ये कोष्टबद्धता को भी दूर काता है। साथ ही ये शरीर की गर्मी और पेट की जलन को भी खत्म करता है। नेत्र रोग के साथ पेट दर्द में भी ये बहुत कारगर है।

मुक्ता भस्म : मुक्ता भस्म एक तरह से मोती का भस्म होता है। जिन लोगों को कैल्शियम की कमी हो या ऑस्टियोपोरिसिस की समस्या हो उन्हें मुक्ता भस्म का सेवन जरूर करना चाहिए। साथ ये टीबी, पुराने ज्वर, खांसी, अस्थमा या एलर्जी और रक्तचाप के साथ दिल की बीमारियों में भी बहुत कारगर होता है।

मूंगा : मूंगा एक प्राकृति रत्न होता है और इसे यदि केवड़े में घिसकर किसी ऐसी महिला के पेट पर लगाया जाए जो गर्भवती हो और उसका गर्भ टिकता न हो। ऐसा करने से उसका गर्भ टिका रहता है। मूंगा शरीर के अंगों को पुष्ट करता है। इसके लिए मूंगे को पीस कर गुलाबजल में डाल कर सुखा लेना चाहिए और बाद में इसे शहद के साथ रोज खाना चाहिए। साथ ही खांसी, पीलिया और पेट की गर्मी को खत्म करने वाला होता है।

पन्ना : यदि मूत्र रोग या ब्लड संबंधी कोई दिक्कत हो तो पन्ने को गुलाब जल या केवड़े के जल में घोटकर प्रयोग करना चाहिए। ये हृदय संबंधित रोगों में भी फायदेमंद है। पन्ने की भस्म ठंडी प्रकृति की होती है इसलिए ये वजन बढ़ाने, भूख भूख बढ़ाने के साथ अस्थमा, उल्टी, पाइल्स और पीलिया रोग में बहुत लाभदायक होती है।

सफेद पुखराज : पीलिया,आमवात, खांसी, श्वास कष्ट, बवासीर की समस्या में श्वेत पुखराज से बढ़कर कोई और भस्म काम नहीं आ सकता है। इसे गुलाबजल या केवड़े में 25 दिन तक घोट कर पीस कर छाया में सुखा कर प्रयोग किया जाना चाहिए। श्वेत पुखराज की भस्म विष और विषाक्त कीटाणुओं के जहर को नष्ट करने में कारगरर होता है।

बाजार में सारे ही रत्नों के भस्म आयुर्वेदिक दुकानों पर उपलब्ध होते हैं, लेकिन याद रखें बिना चिकित्सक की सलाह के खुद इनका प्रयोग न करें। सही अनुपात और रोग के आधार पर इनका प्रयोग कारगर होता है।

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