नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लगातार हो रही बारिश की वजह से जल जमाव भी देखा गया जिसकी वजह से डेंगू, चिकनगुनिया, और मलेरिया के मामले काफी बढ़ने लगे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली के अस्पतालों में लभगभ से 30 से 40 प्रतिशत मामले सिर्फ फ्लू के आ रहे हैं। फ्लू, डेंगू एवं चिकनगुनिया के अचानक बढ़ते मामले, पोस्ट कोविड मरीज पर कितना खतरनाक हो सकता है फ्लू का असर। और इस खतरे से कैसे बचा जा सकता है। इन तमाम मसलों पर टाइम्स नाउ नवभारत के संवाददाता प्रेरित कुमार ने सीनियर डॉक्टर अजय लेखी से बात की।
डॉ लेखी बताते हैं कि फ्लू के मामले एक चरम सीमा पर आज पहुंच चुके हैं। आज हर दूसरे मरीज के अंदर फ्लू के लक्षण पाए जा रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग, नौजवान सभी के अंदर इसकी तकलीफ देखी जा रही है। इसके साथ-साथ फीवर के जो मामले आ रहे हैं उससे भी चिकनगुनिया और डेंगू के मामले में बढ़ोतरी देखे जा रहे हैं। इस तरह से जो फ्लू का मामला आ रहा है यह कहीं ना कहीं हमें सचेत कर रहा है कि गलती से भी अगर कोई कोविड-19 का पेशेंट हुआ तो इसका स्प्रेड बहुत ज्यादा होगा। इसलिए ऐसी स्थिति को संभालना बहुत ज़रूरी है।
इस स्थिति में हमें मास्क लगाना चाहिए। अच्छी डाइट लेना चाहिए। मौसम की बदलती हुई चीजों के साथ अपने आप को ध्यान रखना है। भीड़भाड़ वाली जगह पर बिलकुल नहीं जाना है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। हाइजीन का विशेष ख्याल रखना है।
जिस तरह से दिल्ली के अंदर बीते दिनों बारिश हुई है। हर छोटी जगह से बड़ी जगहों पर जलजमाव देखा गया। सड़कों पर वाटर लॉगिंग की स्थिति बनी हुई थी। अगर पानी तीन-चार दिन और भरा रहता है तो डेंगू का मामला बढ़ना एकदम तय है। और उसी प्रकार से चिकनगुनिया का भी बढ़ेगा। क्योंकि आज कल कूलर बंद पड़े हैं। लोग कूलर की सफाई नहीं कर रहे हैं तो वहां पर भी ब्रीडिंग के चांस ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसलिए हर निगम को आज सचेत होना होगा और इस स्थिति को रोकना होगा।
जो पोस्ट कोविड अभी सही से संभला भी नहीं है और इस तरह से अचानक से बढ़ते हुए फ्लू के मामले कहीं ना कहीं अलार्मिंग सिचुएशन है। अभी कुछ ऐसे भी पोस्ट कोविड पेशेंट हैं जिनका अभी भी ट्रीटमेंट चल रहा है। और जो पेशेंट ठीक भी हो चुके हैं उनके अंदर दोबारा से इस तरह के फ्लू का सिम्पटम्स होना घातक है। कोविड-19 के दौरान भी चेस्ट इंफेक्शन होता है, निमोनिया होता है, और फ्लू के दौरान भी निमोनिया होता है। इससे मरीज की स्थिति और पहले से ही कमजोर रहती है और ऐसी स्थिति में फ्लू ज्यादा कमजोर करता है।
नाक का बहना, छींक आना, सर दर्द होना, बॉडी में दर्द होना। ये सब फ्लू के प्राइमरी लक्षण होते हैं। डेंगू में शुरू से ही बुखार होता है। शरीर में लाल दाने आने लगते हैं। इन लक्षणों से आम मरीज अपना अंदाजा लगा सकते हैं कि उनमें किस तरह का लक्षण है। मैं लोगों से यही गुजारिश करूंगा कि अगर ऐसे सिम्पटम्स किसी को भी अपने अंदर दिखे तो वह डॉक्टर के संपर्क में आए। वह अपने आप इलाज करने की कोशिश बिलकुल भी ना करें। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि फ्लू के जो पेशेंट हैं उसमें अगर कोई भी कोविड का पेशेंट मिला तो आप उसको डायग्नोस नहीं कर पाएंगे।