कोरोना वायरस ने दुनिया भर के लोगों को उनके अपने ही घरों में कैद कर दिया है। पूरी दुनिया को अपने कंट्रोल में लेने वाले कोरोना वायरस के प्रकोप दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। संक्रमण वाली इस बीमारी से बचने के लिए भारत सहित कई देशों में लॉकडाउन किया गया है। लोगों को अपने-अपने घरों से बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिसेस सब ऑनलॉइन कर दिए गए हैं। लोगों का एक दूसरे से मिलना जुलना बंद हो गया है। सोशल गैदरिंग खत्म हो गई है,सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। व्यापार बिजनेस सब ठप्प हो रहे हैं, कई लोगों के सामने रोजगार की समस्या सामने आ गई है। लोगों के इनकम में कटौती हो रही है, लोग आइसोलेशन में जी रहे हैं। देश दुनिया की आर्थिक व्यवस्था घाटे में जा रही है।
सूक्ष्म से दिखने वाले इस शक्तिशाली कोरोना वायरस ने दुनिया भर में इतना नुकसान किया है कि इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। दुनियाभर में दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जबकि 30 लाख से भी ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं। इसका असर इतना घातक है कि केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं अब इसने लोगों के मेंटल हेल्थ पर भी अटैक करना शुरू कर दिया है। जानते हैं किस तरह से कोरोना वायरस ने लोगों के मेंटल हेल्थ पर अटैक करना शुरू किया है-
नींद ना आने की समस्या
कोरोना वायरस के कारण हर रोज सुबह मीडिया में खबरें आती है कि 24 घंटे में हजारों लोगों की मौत हो गई। इस खबर का हमारे मन मष्तिष्क पर इतना बुरा असर पड़ता है कि रात को नींद में बेहद बुरे और डरावने सपने आने शुरू हो जाते हैं। इस डर की वजह से नींद भी गायब होने का डर रहता है। इससे धीरे-धीरे एंग्जाइटी की समस्या बढ़ने लगती है। नींद पूरी ना होने से डिप्रेशन की समस्या भी शुरू हो जाती है। अगर आप इससे निजात पाना चाहते हैं तो आपको नियमित तौर पर व्यायाम और मेडिटेसन करते रहना चाहिए साथ ही निगेटिव चीजों और जानकारियों से अपने आप को दूर रखना चाहिए।
लगातार बैड न्यूज देखते रहने की आदत
अब जब इस परिस्थिति में कि अपने आप को हमें घर में कैद रखना पड़ रहा है हमारे पास देश दुनिया से अवेयर रहने का एकमात्र जरिया है मीडिया रिपोर्ट्स। दिन भर समाचारों को देखते रहने से हमें बस इसके खतरे का ही पता चलता है और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं दिखता। हर रोज मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की रिपोर्ट हमें डिप्रेशन देती है। मन में एक डर भी बैठा रहता है कि कहीं अगला शिकार हम तो नहीं। दिनों दिन गिरती अर्थव्यव्सथा भी एक बैड न्यूज की ही तरह है। धीरे-धीरे इसका हमारे दिमाग पर ये असर होने लगता है कि अगले दिन हम अपने आप ही ऐसी न्यूज का इंतजार करने लगते हैं जो बेहद खतरनाक है। अपनों के बारे में चिंता बढ़ना ये सभी समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में एक बेहतर उपाय ये है कि आप न्यूज देखना कम से कम कर दें। क्योंकि इस वायरस से जुड़ बेसिक जानकारियां तो आपको शुरू में ही मिल गई हैं तो अब इससे मरने वालों और संक्रमितों के आंकड़े ही मीडिया में दिखाए जाते हैं जो चिंता के अलावा और कुछ नहीं दे सकते। इसलिए ऐसी बैड न्यूज और निगेटिव न्यूज को देखना कम कर दें।
जीवन से रुचि व आनंद कम हो जाना
ये मेंटल हेल्थ की एक बड़ी ही बुरी स्थिति है। ऐसे में मरीज को अपने आप से लगाव कम हो जाता है। हर कुछ में उसे निगेटिविटी नजर आने लगती है। जब हमें अच्छा महसूस नहीं होता है तो हमें किसी से बात करने की भी इच्छा खत्म हो जाती है। किसी भी चीज में रुचि नहीं रह जाती। अपने ही जीवन से आनंद खत्म होने जैसा लगने लगता है। हमें अपने जिंदगी की कीमत का ही अंदाजा नहीं रह जाता। ऐसे में हमें अपनों के सपोर्ट, साथ व मदद की जरूरत होती है।
बेसहारा व बेचारा महसूस करना
कोविड-19 को लेकर जिस तरह की खबरें मीडिया में आ रही है हर रोज डराने वाली रिपोर्ट सामने आती है। ये हमारे दिल और दिमाग को कमजोर करते हैं। खबरें जैसे ये वायरस अभी 2 से 3 साल तक और रहने वाला है, या फिर इसकी कोई वैक्सीन तैयार हो ही नहीं सकती। ऐसी खबरों को पढ़कर देख सुनकर हमें डर लगने लगता है और हम बेचारे व बेसहारा सा महसूस करने लगते हैं। इससे एंग्जाइटी होने लगती है और हमारा मानसिक स्वास्थ्य खराब होने लगता है। ऐसे में बेहतर ये होता है कि आप अच्छी-अच्छी चीजों सकारात्मक चीजों को देखें। ध्यान करें योग करें। सकारात्मक सोच रखें सकारात्मक लोगों से बातें करें।
सुसाइड का खयाल
कोरोना वायरस के इस दौर में कई खबरें ऐसी भी सुनने को आ रही हैं कि इस महामारी के डर से किसी ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। ये सिर्फ और सिर्फ बेवकूफी भरा कदम है और कुछ नहीं है। आशावादी बनना सीखें। हर अंधेरे के बाद एक उजाला आता है और सारी परेशानियों को खत्म कर देता है। इसलिए ऐसा सोचना बंद कर दें कि ये समस्या हमेशा-हमेशा के लिए रहने वाली है। आशावादी बनें, भरोसा करना सीखें। अफवाहों से बचें।