कोरोना संकट के बीच भारत ने पहचाने 'मौके', इस तरह छंटेगा 'कोविड-19' का अंधेरा

देश
रवि वैश्य
Updated May 05, 2020 | 15:03 IST

India identified opportunity: देश-दुनिया में जारी कोरोना संकट के बीच अब ये सवाल सामने आ रहा है कि लॉकडाउन के बाद देश का परिदृश्य कैसा होगा इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। 

India identified opportunity as invite foreign investment in india amid Corona crisis
भारत में कोरोना की मार से विपरीत हालात बने हुए हैं, जिसे सही करने की पहल की जा रही है 

दुनिया के तमाम देश पिछले काफी समय से एक ऐसे संकट से जूझ रहे हैं जो पहले कभी देखा गया ना कभी सुना गया ना ही ऐसी स्थिति से कोई मुल्क दो-चार हुआ है जी हां  कोरोना संकट या कहें तो  Covid-19 नाम की महामारी  ने ऐसा ऐसा भयावह परिदृश्य खड़ा कर दिया है जिसके साक्षात परिणामों से कई मुल्क थर्रा रहे हैं, क्या अमेरिका, क्या जर्मनी क्या इटली और क्या ब्रिटेन सभी बेहाल हैं।

भारत की बात करें तो यहां भी कोरोना (Corona) की मार से देश में विपरीत हालात बने हुए हैं और ताजा आंकड़ों की बात करें तो कोरोना संक्रमितों की तदात 46 हजार के पार पहुंच गई है जबकि ये बीमारी 1500 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, अब ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या ये स्थिति ऐसे ही चलती रहेगी?

बात करें इस स्थिति को बदले की तो केंद्र सरकार के साथ ही कोरोना प्रभावित राज्यों का सरकारें भी इससे निपटने में युद्धस्तर पर लगी हैं, इसके लिए पर्याप्त संख्या में लोगों के टेस्ट करने और उन्हें उसी के आधार पर जरुरी कदम उठाने सहित कई दिशा में कोशिशें जारी हैं ऐसा नहीं है इसके बेहतर परिणाम भी आ रहे हैं आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं क्योंकि भारत की भौगोलिक स्थिति और घनी जनसंख्या को देखते हुए जो रिकवरी रेट है वो संतोषजनक कहा जा सकता है।

तो क्या सब यूं ही चलता रहेगा?
कोरोना संक्रमण के प्रभाव किस दिशा में ज्यादा पड़ रहे हैं तो जाहिर से बात है कि देश के लगभग सभी सेक्टरों पर इस महामारी का असर पड़ा है-चाहें वो मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर हो कृषि हो आटो मोबाइल हो या साधारण मजदूरी से जुड़े क्षेत्र हों सब के सब कोरोना लॉकडाउन के चलते बंद पड़े हैं और वहां काम कर रहे श्रमिक वर्ग के सामने पेट भरना और सर्वाइव करना बहुत बड़ा सवाल बना हुआ है।

हालांकि सरकारें उनका ध्यान रख रही हैं लेकिन फिर भी दिक्कत कल्पना से कहीं ज्यादा बड़ी है, तो क्या सब ऐसा ही चलता रहेगा ये सवाल लोगों के जेहन में आ रहा है तो केंद्र की मोदी सरकार  हमारी आपकी चिंता से पहले ही इस दिशा में काम कर रही है गौरतलब है कि विश्व समुदाय में अगर भारत की इमेज की बात करें तो वो किसी भी देश की तुलना में बहुत बहुत बेहतर है इसके पीछे वजह भी बहुत साफ है कि मोदी सरकार हर देश की मदद के लिए यथासंभव आगे आती रही है चाहें वो अमेरिका को  हाईड्रोक्लोरोक्वीन दवा की सप्लाई हो या संकट में फंसे देशों की मदद के लिए आगे आना हो मोदी सरकार का काम इस मोर्चे पर लाजवाब है और इस बात की तस्दीक तमाम मुल्क कर चुके हैं।

पैसै का काम पैसे से ही चलता है
बात करते हैं कि देश के इकॉनामी फ्रंट की तो किसी भी देश को चलाने के लिए वहां की अर्थव्यवस्था की सेहत दुरुस्त होना बेहद जरुरी है क्योंकि पैसै का काम पैसे से ही चलता है तो बात इस फ्रंट की करी जाए तो इस मोर्चे पर देश की हालत खासी अच्छी नहीं कही जा सकती है क्योंकि कोरोना से लड़ाई में काफी पैसा लग रहा है।

वहीं देश में जारी लॉकडाउन के चलते सारी गतिविधियां ठप्प हैं तो ऐसे में राजस्व की हालत भी पतली है यानि सरकार को जिन मदों से पैसा प्राप्त होता था उसमें बहुत भारी कमी आई है, ऐसे हालत में सरकार के सामने बड़ा सवाल देश की वित्तीय सेहत ठीक करने की है।

आम दिनों के हालात होते तो बात जुदा होती लेकिन कोरोना की चपेट में दुनिया के कई विकसित मुल्क भी हैं तो ऐसे में भारत में निवेश के नए मौके तलाशने की बात करना भी बेमानी सा लगता है लेकिन हालातों को ऐसे भी नहीं छोड़ा जा सकता है तो ऐसे में मोदी सरकार का कदम इस ओर है कि कैसे विदेशी कंपनियों को देश में लाया जाए ताकि वो यहां अपना सैटअप लगाएं जिससे सुस्त इकॉनामी में जान फूंकी जा सके।

दुनिया की बात करें तो इस समय चीन की भूमिका बेहद संदेहास्पद है और कई विकसित देश उसपर कतई भी ऐतबार करने के मूड में नहीं हैं बल्कि स्थितियां कंट्रोल में आने पर उसपर कठोर कार्रवाई करने और मुआवजा लेने जैसी बातें भी कर रहे हैं।

चीन से बहुत सारी कंपनियां अपना बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी में 
वहीं चीन में कई कंपनियां भी अपनी फैक्ट्रियां और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का कारोबार वहां से समेटने के मूड में दिख रही हैं और ऐसी कंपनियाों का संख्या एक हजार के करीब बताई जा रही है, ऐसे माहौल में भारत को इस स्थिति को अपने पक्ष में करना है ताकि विदेशी कंपनियां अपनी यूनिट्स भारत में लगाएं जिसका फायदा अपने देश को मिलेगा। 

दुनिया के ज्यादातर मुल्क चीन की जगह किसी और देश में सामानों की मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सोच रहे हैं, कोरोना पर नियंत्रण पाने के बाद भारत चीन की तुलना में वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर सकता है जो चीन के लिए बड़ा झटका होगा और भारत की इकॉनामिक सेहत के लिए अच्छा। 

तमाम विदेशी कंपनियां भारत को अपना नया ठिकाना बना सकती हैं
वहां बहुत सारी कंपनियां अपना बोरिया बिस्तर समेटने की तैयारी में हैं वहीं भारत इन कंपनियों के लिए निवेश की एक बेहतर जगह बन सकता है क्योंकि यहां उनकी तकरीबन सारी जरुरतें पूरी हो सकती हैं।

इसमें लेबर से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर आदि अहम हैं जो यहां बेहतर है, इंडिया के हक में जो बातें हैं, उसमें सबसे प्रमुख है सस्ते श्रम की उपलब्धता क्योंकि यहां लेबर कॉस्ट उचित मूल्य पर उपलब्ध है वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर बनाना होगा लालफीताशाही को कम से कम करना होगा, वो भी हो जाएगा क्योंकि केंद्र सरकार के लिए निवेश इस समय अहम है जिससे सारी गतिविधियों में फिर से जान पड़ेगी।

कोरोना  महामारी के इस दौर में बताते हैं कि तमाम विदेशी कंपनियां भारत को अपना नया ठिकाना बना सकती हैं इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स,मेडिकल डिवाइसेज के साथ कई अहम क्षेत्रों में इंडिया में फैक्ट्रियां और यूनिट्स लगाने के लिए इच्छुक हैं और उनकी बात भी सरकार के साथ चल रही है अगर ऐसी ही कोशिशें परवान चढ़ती रहीं तो देश इस महामारी के दुष्प्रभावों से जल्दी ही उबर जाएगा। 

इस दिशा में पीएम मोदी का है बड़ा फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय निवेश बढ़ाने के साथ साथ अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सभी संबधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि निवेशकों को बनाये रखने, उनकी समस्याओं को देखने तथा उन्हें समयबद्ध तरीके से सभी आवश्यक केंद्रीय और राज्य मंजूरियां प्राप्त करने में मदद करने के हर संभव कदम सक्रियता से उठाये जाने चाहिये।

भारत में कोरोना से लड़ाई तो प्रभावी तरीके से चल ही रही है वहीं अब आर्थिक मोर्चे पर भी कंक्रीट काम की जरुरत की दरकार है क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बाद यही सबसे बड़ा सवाल होगा कि अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द कैसे पटरी पर लाया जाए?

भारत अगर विदेशी कंपनियों को अपने यहां आकर्षित करने में सफल होता है तो ना सिर्फ वर्तमान हालातों में बल्कि आगे के लिए भी भारत की वित्तीय सेहत बढ़िया बनी रहेगी क्योंकि किसी भी काम को करने के लिए पैसों की दरकार होती ही होती है,इसलिए इस अहम फ्रंट पर और ज्यादा बेहतर तरीके से काम करने की आवश्यकता है।

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