नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेहद ही खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। हर दिन नए मामले रिकॉर्ड बना रहे हैं। नए मामले हों या फिर मौत के आकंड़े, रूकने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र और तमाम राज्य सरकारें संक्रमण पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं लेकिन सब नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं और कई जगहों पर लोगों को दवाओं से लेकर ऑक्सीजन तक के लिए तरसना पड़ रहा है। इन सबके बीच एक ऐसी दवा है जिसे लेकर मारामारी हो रही है और वो है रेमडेसिविर (Remdesivir)इंजेक्शन।
क्या है रेमडेसिविर इंजेक्शन
रेमडेसिविर एक एंटीवायरल दवा है जिसकी आजकल बेहद अधिक मांग हो गई है और कई जगहों पर इसकी कालाबाजारी हो रही है। आज से करीब एक दशक पहले इस दवा को हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस (RSV) का इलाज करने के लिए एक अमेरिकी दवा कंपनी मैसर्स गिलियड साइंसेज ने बनाया था। देश में दवा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल से केंद्र ने दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और कई राज्य सरकारों ने अस्पतालों को कोविड-19 संक्रमण के गंभीर मामलों में ही पीड़ित लोगों को ही दवा देने का निर्देश दिया है।
इस अमेरिकी कंपनी ने बनाई थी दवा
फिलहाल देश में सात भारतीय कंपनियां मैसर्स गिलियड साइंसेज के साथ स्वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौते के तहत रेमेडिसविर का उत्पादन कर रही हैं। उनके पास प्रति माह लगभग 38.80 लाख यूनिट दवा का उत्पादन करने की क्षमता है। हालांकि, आज तक इस बात का कोई सबूत नहीं है मिला कि इस दवा कोरोनोवायरस को ठीक करने में मदद करती है।
इसलिए बनाई गई थी रेमडेसिविर
रेमडेसिविर को मूल रूप से हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए विकसित किया गया था और बाद में इसे इबोला के खिलाफ परीक्षण किया गया। यह कोविड -19 रोगियों में मृत्यु दर को कम करने में मदद करती है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने इंडिया टुडे को को बताया कि पांच नैदानिक परीक्षणों के निष्कर्षों से पता चला है कि रेमडेसिविर ने कोविड -19 संक्रमण के एक गंभीर मामले में पीड़ित लोगों के बीच यांत्रिक वेंटिलेशन की आवश्यकता को कम नहीं किया है।
भारत में सात कंपनियां कर रही हैं उत्पादन
कोरोना के इस संकट के दौर में भारत में इस दवा का उत्पादन सिप्ला, जाइडस कैडिला, डॉ रेड्डीज, सन फार्मा, हेटेरो, माइलैन, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज जैसी कई कंपनियां करती रही हैं। घरेलू बाजार में रेमडेविर की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए डीजीएफटी द्वारा 11 अप्रैल 2021 को रेमेडिसविर, एपीआई और फॉर्मूलेशन को निर्यात प्रतिबंध के तहत रखा गया था। हाल ही में सरकार ने इसकी कीमतों में भी कमी की है। वहीं डीसीजीआई द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों के प्रवर्तन अधिकारियों को रेमेडिसविर की काला-बाजारी, जमाखोरी एवं अधिक कीमत वसूली की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।