कोविड 19 वायरस म्यूटेट होता रहता है और इसका खतरा लगातार बना रहता है। वायरस के नए-नए वेरिएंट आते रहते हैं, जिससे लोगों के बीच खतरा बढ़ता रहता है। वायरस म्यूटेट हो रहा है, इसलिए माना जा रहा है कि अभी कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है। इंग्लैंड में अचानक से केस बढ़ने लगे हैं और वहां फिर से लॉकडाउन लगाया जा रहा है।
वायरस के म्यूटेट को लेकर सवाल उठता है कि वायरस जब म्यूटेट होता है तो एक स्ट्रेन से दूसरे स्ट्रेन में बदलने में कितना समय लगता है?
'आकाशवाणी समाचार' के अनुसार, सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉ. अनूप कुमार ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'सार्स कोविड 19 वायरस एक आरएनए वायरस है। हम जानते हैं कि इंफ्लूएंजा वायरस, फ्लू वायरस होते हैं, ये भी म्यूटेट होते हैं। वायरस जब रेप्लिकेट होता है तो तब वह म्यूटेट होता है, और रेप्लिकेट के साथ होस्ट यानि मानव शरीर में जब इम्यूनिटी बन जाती है तो वह शरीर में सर्वाइव करने के लिए बहुत तेजी से बदलाव लाता है, ताकि इम्यूनिटी से बच सके। कोविड के अंदर एक ग्लाइकोप्रोटीन होता है, यह आउटर प्रोटीन होता है और ज्यातर वेरिएशंस इसी में देखी जा रही है। दूसरी लहर सबसे घातक इसलिए हुई क्योंकि डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से डबल म्यूटेशन आया था। इसकी दूसरे को संक्रमित करने की क्षमता 40-70 प्रतिशत ज्यादा थी। हालांकि इन सबसे बचने का वही उपाय है कि मास्क लगाएं और वैक्सीन लगवाएं।'
हमारे देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण का अभियान जारी है। अब तक 27 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी है। ऐसे में सवाल है कि क्या अब हम हर्ड इम्यूनिटी की उम्मीद कर सकते हैं?
इसके जवाब में एम्स के डॉ. नीरज निश्चल कहते हैं, 'पिछली वेव में भी कुछ लोगों ने कहा था कि हम हर्ड इम्यूनिटी के काफी पास पहुंच गए हैं, लेकिन ऐसा कुछ देखने में नहीं आया। वायरस के बारे में हमारे जो प्रेडिक्शन हैं ये उसे हमेशा गलत साबित कर देता है। हर्ड इम्यूनिटी के चक्कर में हम लापरवाही बिल्कुल नहीं कर सकते हैं। इसके बारे में अभी कुछ साफ नहीं है। एंटीबॉडी टेस्ट के भरोसे आप अभी नहीं रहिए। कोविड एप्रोपियेट बिहेवियर का पालन करें और जब भी मौका लगे अपने आप को वैक्सीनेट करवाएं।'