नई दिल्ली। पूरा देश कोरोना काल से गुजर रहा है। अगर महाराष्ट्र की बात करें तो देश का सबसे प्रभावित राज्य है। कोरोना पर लगाम लगाने के लिए सरकारें सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दे रही हैं। लेकिन दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के वाधवान परिवार को इससे कोई मतलब नहीं है। मुंबई में गर्मी है और उस परिवार के सदस्य गर्मी को झेल नहीं सके। तफरी और वादियों की ठंडी ठंडी हवा लेने के लिए वो महाबलेश्वर पहुंच गए। पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव सरकार ने निशाना साधते हुए कि कहा कि सरकार बताए कि आखिर किस शख्स की मेहरबानी पर वाधवान परिवार महाबलेश्वर पहुंच गया।
देवेंद्र फडणवीस ने साधा निशाना
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि महाराष्ट्र में शक्तिशाली और धनवान लोगों के लिए किसी तरह का लॉकडाउन नहीं हैं। कोई भी शख्स पुलिस अधिकारियों की अनुमति से महाबलेश्वर जा सकता है वहां दिन गुजार सकता है। यह संभव नहीं कि कोई आईपीएस अधिकारी इस तरह से अनुमति देगा जबकि वो जानता है कि इसके क्या परिणाम होंगे।
वाधवान परिवार के 23 लोगों ने लॉकडाउन को दिखाया ठेंगा
वाधवान परिवार का एक नहीं, दो नहीं बल्कि 23 लोगों सतारा के महाबलेश्वर पहुंच गए। अभी तक इस बात की जनाकारी नहीं मिली है कि क्या वो किसी सरकारी अधिकारी का आदेश लेकर वहां गए या नियमों को तोड़ा। अभी तक जो जानकारी मिल रही है उससे पता चल रहा है कि उन लोगों मे नियम और कानून की धज्जियां उड़ाईं। उनके पास किसी तरह का कोई आदेश नहीं था। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने इस आपदा का सामना करने के लिए पूरी तरह कुछ इलाकों को सील किया हुआ है।
महाराष्ट्र पुलिस की तरफ से दर्ज किया जाएगा केस
पुलिस का कहना है कि वाधवान परिवार के सभी 23 लोगों को क्वारंटीन किया गया है। और उन लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बीजेपी ने साधा निशाना
बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम कदम ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तब्लीगी जमाक से जुड़े जो फरार हैं उन्हें तो सरकार ढूंढ नहीं पा रही है। लेकिन वाधवन परिवार के इतने लोगों को महाराष्ट्र सरकार की तरफ वीवीआईपी पास दे दिए गए। सबसे बड़ी बात है जमानत पर वाधवान भाइयों को महाबलेश्वर तक पहुचाने के इंतजामों में गृह सचिव क्यों रुचि ले रहे थे।
6-7 घंटे की दूरी पर है महाबलेश्वर
मुंबई से महाबलेश्नवर की दूरी देखें तो कम से कम 6 से 7 घंटे का सफर है। सवाल यह है कि इतनी लंबी दूरी में एक से अधिक नाके पड़े होंगे तो कैसे इस परिवार के 23 सदस्य महाबलेश्वर पहुंचने में कामयाब हुए। क्या उनके पास कोई इमरजेंसी पास था। अगर ऐसा था तो कैसे एक ही परिवार के 23 सदस्यों को इमरजेंसी पास मिल गया। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या वाधवान परिवार को यह नहीं पता था कि महाराष्ट्र किस तरह की दिक्कत से गुजर रहा है।
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