नई दिल्ली: कोरोना महामारी से निपटने को केंद्र सरकार कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है और इसके लिए जो भी जरुरी संसाधन हैं उन्हें जुटा रही है इसके लिए विदेशों से भी मेडिकल किट के साथ और भी आवश्यक सामान मंगाया जा रहा है, वहीं राज्य सरकारें भी इस लड़ाई में अपनी सारी सरकारी मशीनरी को झोंके हुए है मकसद है कोरोना संक्रमण पर रोक लगाना।
कोरोना से लड़ाई में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स (Hydroxychloroquine) गेम चेंजर मानी जा रही है जिसके चलते इस दवा की मांग काफी बढ़ गई है यहां तक कि भारत ने कई देशों को इसे भेजा भी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से बेहतर तरीके से लड़ाई को कई राज्यों को 4 लाख से ज्यादा पीपीई किट्स और 4.29 करोड़ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की आपूर्ति की है साथ ही ये भी बताया कि सिंगापुर से भारत में जल्द ही 2 लाख पीपीई किट (PPE Kit) पहुंचने की उम्मीद है।
इससे पहले भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की खेप अमेरिका भेजी थी जिसे कोविड-19 के उपचार के लिए संभावित दवा के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका और कुछ अन्य देशों की मदद करने के लिए भारत ने कुछ दिन पहले ही मलेरिया-रोधी इस दवा के निर्यात पर लगा प्रतिबंध मानवीय आधार पर हटा दिया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अनुरोध पर भारत ने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की 35.82 लाख गोलियों के निर्यात को मंजूरी दे दी थी साथ ही दवा के निर्माण में आवश्यक नौ टन फार्मास्यूटिकल सामग्री या एपीआई भी भेजी गई थी।
भारत विश्व में इस दवा का प्रमुख निर्माता
ट्रम्प ने फोन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका के लिए मलेरिया-रोधी दवा के निर्यात को अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसके बाद भारत ने सात अप्रैल को इस दवा के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।
भारत विश्व में इस दवा का प्रमुख निर्माता है। भारत पूरी दुनिया में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति के 70 प्रतिशत भाग का उत्पादन करता है।
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से बेहतर परिणाम
इस बीच, एक नए फ्रांसीसी अध्ययन के अनुसार, अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के 1,061 रोगियों को एंटीबायोटिक के साथ-साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन देने से 10 दिनों के भीतर उनमें से 91.7 प्रतिशत लोग ठीक हो गए, जबकि 15 दिनों के बाद 96 प्रतिशत लोगों के ठीक होने का दावा किया गया है।
कोविड-19 पहली बार दिसंबर 2019 में चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में सामने आया और फिर यह बीमारी दो-तीन महीनों में पूरी दुनिया में फैल गई। पूरा विश्व कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने के लिए प्रयास कर रहा है।
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