नई दिल्ली: देश में गर्भपात के कानूनों को आसान बनाने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम, 1971 में बदलाव करके गर्भावस्था खत्म करने की सीमा 20 सप्ताह से 24 सप्ताह तक की बढ़ाने पर विचार किया है। साथ ही इस प्रावधान में 'केवल विवाहित महिला या उसके पति' की जगह 'किसी भी महिला या उसके साथी' को शामिल करने की बात भी लाई जा सकती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार एमटीपी विधेयक का मसौदा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से लाया गया है और मंत्रिमंडल को इसकी मंजूरी पर निर्णय लेना है। वर्तमान में लगभग पांच दशक पुराने गर्भपात कानून में अधिकतम गर्भधारण की अवधि 20 सप्ताह तक है।
एमटीपी अधिनियम, 1971 की धारा 3 (2) में कहा गया है, 'एक पंजीकृत चिकित्सक द्वारा गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है, (ए) जहां गर्भावस्था का समय 12 सप्ताह से अधिक नहीं है या (बी) अगर दो या इससे ज्यादा पंजीकृत चिकित्सकों की सलाह पर गर्भावस्था का समय बारह सप्ताह ज्यादा हो सकता है, लेकिन यह बीस सप्ताह से अधिक नहीं होना चाहिए।
गर्भावस्था को लेकर इस कानूनी प्रावधान में- गर्भवती महिला के जीवन या उसके शारीरिक/ मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर चोट के जोखिम या फिर बच्चे के जन्म के बाद उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर असामान्य गंभीर खतरे के जोखिम को शामिल किया जाएगा।
हाल के सालों में, गर्भपात के लिए भ्रूण के गर्भधारण समय को 20 सप्ताह से बढ़ाने की मजबूत मांग देखने को मिली है। कई लोगों की राय में एमटीपी अधिनियम, 1971 को संशोधित करने का कदम, महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है।
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