नई दिल्ली: चीन सेना के साथ 29-30 अगस्त की रात को पूर्वी लद्दाख में हुए टकराव पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीनी पक्ष ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिण तट के क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। भारतीय पक्ष ने चीन की उकसावे वाली कार्रवाई का जवाब दिया और उचित रक्षात्मक कदम उठाए। चीन ने उन बातों की अनदेखी की जिन पर पहले सहमति बनी थी और उकसावे वाली सैन्य कार्रवाई की। चीनी सैनिकों ने 31 अगस्त को फिर उकसावे वाली कार्रवाई की जबकि स्थिति सामान्य करने के लिए कमांडर चर्चा कर रहे थे। विदेश मंत्रालय ने साथ ही कहा कि सीमा पर स्थिति को हल करने के लिए भारत और चीन पिछले तीन महीनों में राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से जुड़े हुए हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि समय पर की गई रक्षात्मक कार्रवाई से भारतीय पक्ष यथास्थिति को बदलने के इन प्रयासों को रोकने में सक्षम हुए। साल की शुरुआत से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी पक्ष का व्यवहार और कार्रवाई स्पष्ट रूप से द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है।'
मंत्रालय ने आगे कहा, 'हमने राजनयिक और सैन्य दोनों चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के सामने हाल की उत्तेजक और आक्रामक कार्रवाइयों का मामला उठाया है और उनसे आग्रह किया है कि अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को अनुशासित और नियंत्रित करें। भारतीय पक्ष शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सभी मुद्दों को हल करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।'
आज भी दोनों देशों के बीच एक और दौर की सैन्य वार्ता हुई। ब्रिगेड कमांडर-स्तरीय वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र में चुशूल में सुबह 10 बजे शुरू हुई। बैठक का विशिष्ट एजेंडा पैंगॉन्ग झील के आसपास की स्थिति पर चर्चा था। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने सोमवार को करीब छह घंटे तक बातचीत की, लेकिन उसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। इससे पहले दोनों पक्षों के बीच पैंगॉन्ग झील के उत्तरी तट पर टकराव था, लेकिन यह पहला मौका है जब इस तरह की घटना दक्षिणी तट पर हुई।
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