चीन में कोरोना वायरस के नहीं बदले हालात तो भारत में पैरासिटामोल जैसी दवाओं की हो सकती है किल्लत

देश
आलोक राव
Updated Feb 16, 2020 | 11:30 IST

Coronavirus Crisis : चीन में कोरोना वायरस के कहर से अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 60,000 लोग संक्रमित हैं। इस वायरस ने दुनिया के 25 अन्य देशों में भी अपनी दस्तक दी है

coronavirus crisis : Drugs like Paracetamol, Ibruprofen may not last beyond February in India
चीन से आयात होने वाली वस्तुओं की हो सकती है कमी।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • चीन से बड़े पैमाने पर ड्रग्स, स्मार्ट फोन्स एवं सौर ऊर्जा उपकरणों का आयात करता है भारत
  • फरवरी के बाद भी कोरोना संकट जारी रहा तो इन सामग्रियों की आपूर्ति हो सकती है प्रभावित
  • वैकल्पिक योजना पर काम कर रही है भारत सरकार, दवाओं का पर्याप्त भंडार होने की बात कही

नई दिल्ली : चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप अगर जल्द नहीं थमा तो इसका असर भारत के रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर दिख सकता है। चीन का कोरोना संकट फरवरी के बाद भारत में पैरासिटामोल और आई-ब्रूफेन जैसी दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की आपूर्ति प्रभावित कर सकता है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने कई उद्योगों से मिले फीडबैक के बाद अपनी एक रिपोर्ट में इस बात के संकेत दिए हैं। फिक्की का कहना है कि कोरोना वायरस का संकट का समाधान यदि शीघ्र नहीं हुआ तो इसका असर दवाओं, स्मार्टफोन्स एवं सौर ऊर्जा उपकरणों के उत्पादन पर हो सकता है। 

फिक्की के अध्ययन में कहा गया है कि चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप यदि आगे भी जारी रहा तो फार्मा उत्पादों की कीमत में उछाल आ सकता है। अध्ययन के मुताबिक, 'चीन में कोरोना वायरस के चलते वहां का उद्योग यदि बंद रहता है तो भारत में बनने वाली फॉर्मास्युटिकल उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं।' रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपने 70 प्रतिशत ड्रग्स निर्माण की जरूरतें चीन से पूरी करता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि उसके पास दवाओं का पर्याप्त भंडार पहले से मौजूद है। आने वाले समय में चीन में स्थिति यदि सुधरती नहीं है तो भी दवाओं की कमी न हो इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय एक योजना पर काम कर रहा है।   

इस बीच सरकार ने ऐसे दवाओं की पहचान की है जिनके निर्माण में वुहान से आयात होने वाली सामग्रियों का इस्तेमाल होता है। चीन के इस शहर से ही कोरोना वायरस के फैलने की बात सामने आई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार चीन से आयात के बिना इन दवाओं के निर्माण के लिए वैकल्पिक योजना तैयार कर रही है। 

अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की हुई मौत 
चीन में कोरोना वायरस के कहर से अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 60,000 लोग संक्रमित हैं। इस वायरस ने दुनिया के 25 अन्य देशों में भी अपनी दस्तक दी है जबकि भारत में कोरोना वायरस के तीन मामलों की पुष्टि हुई है। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार काफी चौकन्नी है और वह देश के सभी एंट्री प्वाइंट्स पर करीबी नजर रख रही है। चीन और उसके पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। 

भारत ने अपने नागरिकों को चीन से निकाला
भारत अपने दो विशेष विमानों से हुबेई प्रांत से अपने करीब 647 लोगों को सुरक्षित निकाल चुका है। चीन से लाए गए भारतीय छात्रों को मानेसर के पास एक अलग उपचार केंद्र में रखा गया और इनकी निगरानी एवं उपचार किया जा रहा है। शुक्रवार को कोलकाता एयरपोर्ट में दो व्यक्तियों में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दिए जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया। चीन की मदद के लिए भारत आगे आया है और बीजिंग को चिकित्सा सामग्रियां भेज रहा है।

जनवरी के मध्य से फैलना शुरू हुआ कोरोना वायरस
चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप जनवरी के मध्य से फैलना शुरू हुआ। चीन की सरकार ने पहले इस बात को दबाने की कोशिश की लेकिन जब यह तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेने लगा तो यह सार्वजनिक हो गया। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि यह वायरस जानवरों से इंसान में फैला है। इसके वायरस कोरोना प्रजाति के ही हैं जो श्वसन तंत्र एवं आंत पर हमला करते हैं। अभी तक इससे बचाव के लिए कोई प्रतिरोधक टीका विकसित नहीं हो पाया है। इसलिए यह वायरस जानलेवा साबित हो रहा है। 
 

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