नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में आबोहवा दिन प्रतिदिन खराब होते रही है और प्रदूषण की वजह से दिल्ली तथा एनसीआर में हालात गंभीर हो गए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो हवा की गुणवत्ता ऐसी हो गई हैं कि उसमें सांस लेना भी दूभर हो गया है। दिल्ली-एनसीआर के अधिकतर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एक्यूआई 500 के करीब पहुंच गया है और यह लगातार बढ़ते जा रहा है जो चिंताजनक है।
स्थिति चिंताजनक
दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घर से बाहर निकल रहे लोगों को गले में खराश, आंखों में जलन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, गुरुग्राम सेक्टर -51 एक्यूकआई 469 (गंभीर), नोएडा सेक्टर 1 में 458 (गंभीर), इंदिरापुरम, गाजियाबाद में 469 पर और न्यू इंडस्ट्रियल टाउन फरीदाबाद में 421 पर है। हवा की गुणवत्ता में गिरावट का सलसिला अभी जारी है।
तमाम प्रयास नाकाफी
वहीं दिल्ली के अन्य इलाकों की बात करें तो आरके पुरम में एयर क्वालिटी इंडेक्स 451 (गंभीर श्रेणी), लोधी रोड में 394 (बहुत खराब श्रेणी), 440 आईजीआई एयरपोर्ट (गंभीर श्रेणी) और द्वारका में 456 (गंभीर) है। प्रदूषण को रोकने के लिए किए जा रहे तमाम उपाय नकाफी साबित हो रहे हैं। यहां तक कि इस पर सुप्रीम कोर्ट भी इस पर चिंता जता चुका है। पराली जलाने को दिल्ली में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है।
केंद्र सरकार की पूर्वानुमान एजेंसी के मुताबिक मंगलवार को हवा की दिशा बदलने की वजह से दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषकों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत पर आ गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र ‘सफर’ के मुताबिक सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पराली जलाने की 3,068 घटनाएं दर्ज की गईं। एजेंसी ने बताया कि लंबे समय बाद मंगलवार को सतह के नजदीक की हवा की दिशा दक्षिण पश्चिम की तरफ हुई जो पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को दिल्ली तक पहुंचने में सहायक नहीं होती।
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