नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से कहा कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया में प्रगति शांति बहाली के लिए आवश्यक है और यह संपूर्ण (द्विपक्षीय)संबंध के विकास का आधार भी है। जयशंकर और वांग ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन से इतर बैठक की और वैश्विक घटनाक्रम पर विचारों का आपस में विचारों का आदान प्रदान किया। समझा जाता है कि इस भेंटवार्ता में अफगानिस्तान के घटनाक्रम का विषय भी उठा।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘चीन के विदेश मंत्री से दुशांबे में एससीओ की बैठक से इतर मुलाकात हुई। अपने सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की और यह रेखांकित किया कि शांति बहाली के लिए यह बेहद जरूरी है और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का आधार है।’ बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत सभ्यताओं के टकराव संबंधी किसी भी सिद्धांत पर नहीं चलता है। समझा जाता है कि अफ़गानिस्तान के घटनाक्रम पर भी बातचीत हुई।
जयशंकर ने कहा, ‘यह भी आवश्यक है कि भारत के साथ अपने संबंधों को चीन किसी तीसरे देश की निगाह से नहीं देखे।’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक एशियाई एकजुटता की बात है तो चीन और भारत को उदाहरण स्थापित करना होगा।’ उल्लेखनीय है कि पिछले साल पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध के हालात बने थे और पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के दौरान दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए थे। मौजूदा समय में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे संवेदनशील सेक्टर में प्रत्येक तरफ 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
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