जो आज दुश्मन बन बैठे कभी थे दोस्त,कपिल मिश्रा-ताहिर हुसैन की गलबहियां वाली तस्वीर आई सामने,राजनीति जो न करा दे

देश
ललित राय
Updated Feb 28, 2020 | 23:10 IST

राजनीति का अपना मिजाज होता है। अगर दिल्ली हिंसा नहीं होती तो आप पार्षद ताहिर हुसैन का नाम भी सुर्खियों में नहीं होता और अगर ऐसा न होता तो एक तस्वीर कपिल मिश्रा के साथ वाली नहीं आती, सच में राजनीति जो न करा दे।

जो आज दुश्मन बन बैठे कभी थे दोस्त,कपिल मिश्रा-ताहिर हुसैन की गलबहियां वाली तस्वीर आई सामने,राजनीति जो न करा दे
आप नेता ताहिर हुसैन और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की पुरानी तस्वीर 

नई दिल्ली। सियासत में दुश्मनी और दोस्ती का भाव स्थाई नहीं होता है। समय, काल और हालात को देखते हुए फैसले लिए जाते, बयान दिए जाते हैं, जो कभी गलबहियां करता दिखा वो दुश्मन नहीं होगा या जो जिसके बीच अदावत की लंबी कहानी हो वो दोस्त नहीं बनेगा ऐसा मुमकिन नहीं है। अगर एक पल को इसे भुला दिया जाए तो एक तस्वीर का हम जिक्र करेंगे जिसमें अब बीजेपी नेता कपिल मिश्रा,आप पार्षद ताहिर हुसैन के साथ गलबहियां करते नहीं दिखे होते। 

आप कार्यकर्ता ने साझा की तस्वीर
आखिर इस तस्वीर को किसने साझा किया है, यह भी जानना जरूरी है, इस तस्वीर को आप के ही एक कार्यकर्ता संदीप मिश्रा ने साझा की है। यह तस्वीर उस समय की जब कपिल मिश्रा भी आम आदमी पार्टी में हुआ करते थे। अगर आप तस्वीर की बैकग्राउंड को देखें तो उसमें भगवान भोलेनाथ दिखाई दे रहे हैं,ताहिर हुसैन और कपिल मिश्रा जिस अंदाज में एक दूसरे के साथ हैं उससे अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा कि उनके बीच का संबंध किस स्तर का रहा होगा।

यूं चर्चा में आए कपिल मिश्रा
सवाल उठना लाजिमी है कि दिल्ली हिंसा के संबंध में जो दो नाम सामने आ रहे हैं उनमें कपिल मिश्रा और ताहिर हुसैन की ही चर्चा क्यों है। दरअसल दिल्ली में जब नागरिकता संशोधन कानून का विरोध शुरू हुआ तो शाहीन बाग और जाफराबाद मुख्य केंद्र बने। दिल्ली चुनाव के समय कपिल मॉडल टाउन से अपनी दावेदारी ठोंक रहे थे और उनके एजेंडे में शाहीन बाग, जाफराबाद, पाकिस्तान था। दिल्ली चुनाव के नतीजे जब सामने आए तो वो जीत नहीं हासिल कर सके और उसके बाद सीएए के विरोध करने वालों के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया।

अब वांटेड है ताहिर हुसैन
रविवार यानि 22 फरवरी से एक दिन पहले कपिल मिश्रा ने सीएए  विरोधियों को दिल्ली पुलिस के सामने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से हटने के लिए तीन दिन का समय दिया था। रविवार को सुबह तक जाफराबाद के इलाके में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका था। एक ऐसा फोड़ा जो पक चुका था और हिंसा रूपी मवाद को सिर्फ बाहर आना था। तीन दिन तक जाफराबाद, मौजपुर, ब्रह्मपुरी और दूसरे इलाके हिंसा की आग में झुलस गए और जो तस्वीरें आईं वो दिल को छलनी करने वाली थीं। इसी बीच आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत में आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का नाम आया। यह नाम अब खलनायक के रूप में सामने है। इस शख्स के खिलाफ सेक्शन 302 के तहत मुकदमा दर्ज है और फरार है। इस शख्स के बारे में जो जो जानकारियां सामने आ रही हैं वो चौंकाती हैं तो वो ऊपर वाली तस्वीर के वो अंश याद आते हैं,देल्ही के दो भोले भाले भाई, वो भी क्या वक्त था, राजनीति जो न करा दे।

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