कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेशन को अंतिम हथियार माना जा रहा है। लेकिन उसके बावजूद अभी से चेताया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर दस्तक देने के लिए तैयार है तो सवाल यही उठता है कि क्या वैक्सीनेशन व्यर्थ की कवायद है। क्या टीकाकरण कुछ समय के लिए हमें निश्चिंत होकर सोने देगी। क्या वैक्सीन पूरी तरह से कोरोना के हर रुप और रंग पर हमला करने में सक्षम नहीं है या क्या हम जल्दबाजी में किसी तरह के नतीजे पर तो नहीं पहुंच रहे हैं।
अलग अलग मुल्क प्रतिबंधों की कर रहे हैं बात
इस समय पूरी दुनिया में करीब 100 कंपनियां कोरोना के खिलाफ टीका बनाने का काम कर रही है। दुनिया के अलग अलग देशों में अलग अलग टीकों के जरिए लोगों को सुरक्षित करने का काम भी जारी है। पिछले सात महीने की अगर बात करें तो 2 अरब से ज्यादा लोगों को टीका दिया गया है। लेकिन दुनिया के अलग अलग मुल्क प्रतिबंधों की बात शुरू कर चुके हैं।
दुनिया भर में वैक्सीनेशन के आंकड़े
क्या कहते हैं जानकार
जानकार इस विषय पर कहते हैं कि कोरोना वायरस की प्रकृति को अभी पूरी तरह समझना बाकी है जैसे जैसे केस सामने आ रहे हैं उसके अनुसार शोध प्रक्रिया को आगे बढ़ाई जा रही है। दरअसल जिस तरह से कोरोना वायरस अपने रूप और रंग को बदल रहा है उस लिहाज से चेतावनी जारी की जा रही है। अभी पुख्ता तौर पर कोई भी संस्थान यह कह पाने की स्थिति में नहीं है कि कोरोना वायरस पर संपूर्ण लगाम कब लगेगा। लेकिन अब तक के जो आंकड़े सामने आए हैं उससे एक बात साफ है कि इस घातक वायरस से टीका बचाव कर रहे हैं।
इसके अलावा यह बता पाना मुश्किल है कि कोरोना के संबंध में कितनी चेतावनी जारी की जाएगी। लेकिन लोगों को वैक्सीनेशन के लिए आगे आने के साथ साथ कोविड प्रोटोकॉल को पालन भी करना चाहिए। अगर हम ये दोनों काम करने में चूक गए तो उसका खामियाजा पहली लहर और दूसरी लहर में देख चुकी है।
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