नई दिल्ली। करीब 6 महीने में कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में 11 मिलियन यानि एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं जबकि पूरी दुनिया में 5 लाख से अधिक लोग काल के गाल में समा चुके हैं। कोरोना के खिलाफ पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जंग लड़े रहे हैं। लेकिन अभी किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि कोरोना कितना खतरनाक है। इस बीच कोरोना संक्रमितों की तादाद में भारत अब रूस से आगे निकल गया है। पूरी दुनिया में अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे नंबर पर हैं।
देश में अब तक कोरोना के कुल 6, 87, 760 मामले
स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार के आंकड़े के कुल 6, 87, 760 मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही 19286 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा पिछले कुछ दिन से 20 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि प्रत्येक 10 लाख पर संक्रमण की दर कम है। इसके साथ ही रिकवरी रेट भी तेजी से बढ़ रही है। देश में कोरोना से रिकवरी रेट 60.76 प्रतिशत हो गई है।
WHO के मुताबिक बुरा दौर आना बाकी
यहां पर यह जानना जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बुरा दौर आना है। कुछ अनुमान के जरिए सरकारें यह समझने की कोशिश करती हैं कि अगर यह वायरस कंट्रोल के बाहर चला गया तो अनुमानित कितनी मौतें हो सकती हैं। इंफेक्शन फैटेलिटी रेट के जरिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि अगर यह महामारी ब्राजील, इंडिया और नाइजीरिया जैसे ज्यादा जनघनत्व वाले देशों में फैली तो क्या होगा।
वैश्विक स्तर पर आईएफआर .6 फीसद
गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो दिन की बैठक की और यह बताया गया कि आईएफआर इस समय .6 फीसद है। इसका अर्थ यह है कि मौत का खतरा एक फीसद से कम है। हालांकि उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि अगर विश्व की जनसंख्या की बात करें तो .6 फीसद का अर्थ यह है 47 मिलियन लोग होंगे और अमेरिका में यह तादाद 2 मिलियन होगी। इन सबके बावजूद कोरोना वायरस बड़ा खतरा है।
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