नई दिल्ली। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में जब एलएसी के पास चीनी सेना की हरकत शुरू हुआ तो नतीजा विवाद के रूप में आना स्वाभाविक था। भारतीय कूटनीति और फौज का दबाव काम आया और चीनी सेना गलवान घाटी में पीछे हुई। लेकिन तनाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। दुनिया के दो शक्तिशाली देशों के बीच विवाद की वजह को खत्म करने की कोशिश जारी है। बताया जा रहा है कि इस हफ्ते कई दौर की बैठकें होंगी।
गलवान और पैंगोंग के पीछे करीब 10 हजार चीनी सैनिक
मौजूदा समय में पीएलए के करीब 10 हजार सैनिक गलवान और पैंगोंग लेक के पीछे हैं। उनके पास 100 टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां, आर्टिलरी की दो रेजीमेंट, फाइटर जेट और अवॉक्स है। वास्तव में मोल्डो में चीनी सेना पूरी ताकत से जुटी हुई है। यह वो जगह है जहां 6 जून को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई थी। चीनी सेना का जवाब देने के लिए भारत ने भी अपनी पकड़ मजबूत की है। हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि चीनी सेना की संख्या और साजोसामान की बराबरी करते हुए भारत की भी तरफ से 10 हजार सैनिकों की तैनाती की जानी चाहिए।
तनाव को खत्म करने की कवायद जारी
बताया जा रहा है कि गलवान और पैंगोंग के पार्श्व इलाकों में तनाव को कम करने की कवायद जारी है। इसमें या तो सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी या धीरे धीरे फौजें अपनी बैरकों में चली जाएंगी। इस सिलसिले में इस हफ्ते कई दौर की बैठकें होनी हैं जिसमें भारत की तरफ से ज्वाइंट सेक्रेटरी और चीन की ओर से डॉयरेक्टर जनरल शामिल हो ससते हैं। इससे पहले कूटनीतिक तौर भारत और चीन के बीच बातचीत पहले से ही जारी है। बीजिंग में भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री कमान संभाले हुए हैं। नई दिल्ली में भी कई स्तरों पर बातचीत जारी है।
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