नई दिल्ली : भारत को गलवान घाटी में बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत के कड़े संदेश और रुख के बाद चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गलवान क्षेत्र में एक से दो किलोमीटर पीछे हटी है। बताया जा रहा है कि वह अपने तंबू भी साथ ले गई है। पीएलए के पीछे हटने की घटना को दोनों देशों के बीच बने तनाव को कम करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है। टाइम्स नाउ को सूत्रों ने बताया है कि कई स्तरों पर भारत की लगातार कोशिशों की वजह से गलवान घाटी में चीन की सेना पीछे हटी है।
सूत्रों का कहना है कि चीन के साथ गलवान घाटी सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बने तनावपूर्ण हालात को नियंत्रण में लाने एवं उसे संभालने के लिए भारत बेहद 'संतुलित एवं सधे' हुए रुख के साथ आगे बढ़ा है। सूत्रों के मुताबिक सीमा पर इस संकट को लेकर भारत ने चीन को बहुत ही सीधे और स्पष्ट शब्दों में संदेश दे दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लद्दाख यात्रा से यह संदेश और स्पष्ट हो गया।
कूटनीति में कामयाब रहा भारत
विदेश मंत्रालय इस दौरान चीन के साथ इस मसले का हल निकालने के लिए सैन्य एवं कूटनीतिक स्तरों पर लगातार बातचीत करता रहा। सूत्रों का कहना है कि भारत प्रभावी तरीके से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एलएसी पर बने गतिरोध के बारे में और उस पर भारतीय नजरिए को समझाने में सफल रहा। इसके चलते विश्व समुदाय का समर्थन एवं सहयोग भारत पाने में सफल रहा। इसके अलावा नई दिल्ली और बीजिंग में मौजूद भारत और चीन संबंधों के विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और नीचे नहीं जाने चाहिए। संकट और गतिरोध का हल निकालने के लिए इश दिशा में भी इन लोगों ने भी अपने स्तर पर प्रयास किए।
15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे
बता दें कि गत 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इसके बाद लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ गतिरोध बन गया है। दोनों देशों ने लद्दाख एवं एलएसी पर अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा कर दिया। भारत ने स्पष्ट रूप से चीन को संदेश दिया कि गलवान घाटी में उसकी तरफ से यथास्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश हुई। इस घटना के लिए नई दिल्ली ने पूरी तरह से बीजिंग को जिम्मेदार ठहराया।
भारत ने दो-टूक शब्दों में चीन को दिया संदेश
लद्दाख में चीन की सेना के अतिक्रमण के बाद भारत ने दो टूक शब्दों में चीन को स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी क्षेत्रीय एकता एवं अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पीएम मोदी ने चीन को आगाह करते हुए कहा कि भारत यदि दोस्ती निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर जवाब देना भी उसे आता है। प्रधानमंत्री ने अपने लेह दौरे में भी चीन को आगाह करते हुए कहा कि 'विस्तारवाद का समय अब खत्म हो गया है। यह समय विकासवाद का है। विस्तारवादी शक्तियां या तो मिट गईं या उन्हें खत्म कर दिया गयाा।'
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