Jammu and Kashmir: अनुच्छेद 370 के खात्मे का एक साल, श्रीनगर में दो दिनों तक लागू रहेगा कर्फ्यू 

देश
आलोक राव
Updated Aug 04, 2020 | 06:56 IST

One year of Article 370 abrogation: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खात्मे का एक साल पांच अगस्त को पूरा होने जा रहा है। इसे देखते हुए राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

Jammu and Kashmir: Two-day curfew in Srinagar as J&K completes one year of Article 370 abrogationa
श्रीनगर में दो दिनों के लिए कर्फ्यू लागू। -फाइल पिक्चर  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था अनुच्छेद 370
  • सरकार ने पांच अगस्त 2019 को यह अनुच्छेद खत्म कर दिया
  • फैसले के समय राज्य के नेताओं को उनके घरों में नजरबंद किया गया

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खात्म का एक साल पूरा होने के मौके पर श्रीनगर में दो दिनों चार एवं पांच अगस्त के लिए कर्फ्यू लगाया गया है। श्रीनगर के जिलाधिकारी इकबाल चौधरी ने अपने एक आदेश में कहा कि कर्फ्यू तत्काल प्रभाव से लागू होगा और यह चार एवं पांच अगस्त तक प्रभावी रहेगा। इस आदेश में दावा किया गया है कि राज्य से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन की योजना तैयार की गई है। 

भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 एवं 35ए खत्म कर दिया। साथ ही उसने जम्मू-कश्मीर को विधानसभा से युक्त और लद्दाख को विधानसभा रहित केंद्रशासित प्रदेश बनाने की घोषणा की। जिलाधिकारी के आदेश में कहा गया है कि पाकिस्तान द्वारा समर्थिक एवं अलगाववादी समूह पांच अगस्त को 'काला दिवस' के रूप में मनाने की तैयारी में हैं। 

हिंसक विरोध-प्रदर्शन की आशंका देखते हुए प्रशासन ने लगाया कर्फ्यू 
आदेश में कहा गया है, 'इस बात के विशेष इनपुट्स हैं कि ये विरोध प्रदर्शन हिंसक होंगे और इस में आज लोगों एवं संपत्तियों को निशाना बनाया जा सकता है।' आदेश में आगे कहा गया है कि श्रीनगर में कोरोना वायरस के संक्रमण पर रोक के लिए जारी लॉकडाउन आठ अगस्त तक बना रहेगा। हालांकि, इस दौरान लोगों के लिए आपात चिकित्सा सेवा की छूट रहेगी और मेडिकल सेवा से जुड़े लोगों की यात्रा पर रोक नहीं होगी लेकिन उन्हें अपने पास वैध पास रखना होगा।

नेता हुए नजरबंद
अनुच्छेद 370 पर फैसला लेने से पहले सरकार ने जम्मू-कश्मीर के बड़े नेताओं, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अलगाववादी नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया। सरकार को आशंका था कि ये नेता उकसाने वाला बयान देकर राज्य में कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं। इसके पहले घाटी में बड़ी संख्या में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गई। सरकारी सेवा से जुड़े लोगों से कई महीने का राशन जमा करने का निर्देश दिया गया। सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के चलते अनुच्छेद 370 हटने के बाद हिंसा की कोई बड़ी वारदात नहीं हो पाई।

सरकार ने कहा-विकास में बाधक रहा अनुच्छेद 370
अपने इस कदम के पीछे सरकार ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 राज्य के विकास में बाधक रहा है। इसकी वजह से राज्य के लोगों को उतना लाभ नहीं मिल सका जितना कि उनको मिलना चाहिए। सरकार का यह भी कहना है कि इस अनुच्छेद से राज्य में कहीं न कहीं आतंकवाद को प्रश्रय मिला। सरकार ने कहा कि राज्य को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अनुच्छेद 370 को खत्म करना जरूरी था। राज्य को विशेष दर्जा देने वाले इस अनुच्छेद के खत्म होने के बाद यहां के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। 
  
 

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