जेनेवा : कश्मीर पर पाकिस्तान की 'हाय-तौबा' के बीच अजमेर शरीफ के चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने उसे आईना दिखाया है और कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसमें 'किंतु, परंतु' का कोई सवाल ही नहीं है। भारत के बारे में गलत सूचनाएं फैलाने को लेकर उन्होंने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया तो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनान के केंद्र सरकार के फैसले का भी समर्थन किया।
सलमान चिश्ती जेनेवा यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा अवसर है और इसका लाभ लेने, अपने बच्चों के भविष्य को संवारने और कश्मीर को समृद्ध बनाने के लिए आगे आना चाहिए और यहां की खुशहाली में योगदान देना चाहिए। चिश्ती परिवार से 26वीं पीढ़ी के गद्दी-नशीं (Hereditary Custodian) सलमान चिश्ती ने कहा कि कश्मीर सूफी संतों की भूमि है। यहां सूफी, ऋषि और भक्ति परंपरा एक साथ परवान चढ़ी। आज भी सर्दियों में कश्मीर से ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर शीष नवाने आने वाले, जिनमें अधिकांश बकरवाल और गुज्जर समाज के लोग होते हैं, उन्हें ऋषि कहकर ही संबोधित करते हैं, न कि सैयद साहब या हदरात।
कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के पाकिस्तान के प्रोपेगैंड को भी उन्होंने सिरे से खारिज किया और कहा, 'पाकिस्तान की अपनी समझ है, जिसके आधार पर वह कश्मीर के 8-9 करोड़ लोगों के लिए अपने हिसाब से कुछ भी कहता है। लेकिन क्या उसे भारत में शांतिपूर्वक और खुशहाल जीवन बिता रहे 18 करोड़ मुसलमान नजर नहीं आते, जो वर्षों से राष्ट्र-निर्माण में योगदान देते आ रहे हैं। यह उसकी अपनी समस्या है, जिसके कारण उसने भारत की पूरी तस्वीर को लेकर आंखें बंद कर रखी हैं।'
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