नई दिल्ली। भारत- चीन तनाव के बीच बिहार सरकार ने बड़ा फैसला किया है। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में जिस तरह से चीन की तरफ से चालबाजी की गई उसके बाद आवाज उठी कि चीनी सामानों का बहिष्कार जरूरी है। लोगों के साथ साथ सरकारों को भी इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। देश के अलग अलग हिस्सों से चीनी सामानों को जलाने की खबर आती है तो इसके साथ ही कई संगठन भी लगातार विरोध कर रहे हैं।
बिहार सरकार का बोल्ड स्टेप, नाफरमानी पर टेंडर कैंसिल
बिहार सरकार ने पटना में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले दो ठेकेदारों को हटा दिया है। सरकार का कहना है कि पुल बनाने की जिम्मेदारी कुल चार ठेकेदारों की दी गई है जिसमें दो के पार्टनर चीनी हैं। सरकार ने उन ठेकेदारों से चीनी साझेदारों को हटाने के लिए कहा था। लेकिन जब वो ऐसा करने में नाकाम रहे तो उनके टेंडर को कैंसिल कर दिया गया। इसके लिए अब नए सिरे से आवेदन मंगाए जा रहे हैं।
मंत्री जी ने दी दलील
बिहार सरकार में मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि देश हित सबसे पहले है। लद्दाख के पूर्वी इलाके में जिस तरह से चीन की तरफ से हरकत की गई वो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। देश और राज्य में जनमानस में यह धारणा है कि चीन को सबक सिखाने की जरूरत है। आम लोग भी अपने स्तर पर चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। ऐसे में बिहार सरकार ने लोगों की भावना का ख्याल करते हुए महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बन रहे पुल पर कुछ फैसला किया है। सरकार ने दो ठेकेदोरों से साफ कहा कि उन्हें चीनी साझेदारों को हटाना होगा। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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