Mukul Roy: कांग्रेस, TMC, बीजेपी और फिर टीएमसी, शुरू से समझें मुकुल रॉय की पूरी राजनीतिक यात्रा

देश
लव रघुवंशी
Updated Jun 12, 2021 | 20:17 IST

Mukul Roy political journey: 2017 में तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए मुकुल रॉय टीएमसी में वापस आ गए हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ शुरू किया था।

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टीएमसी में शामिल हुए मुकुल रॉय 
मुख्य बातें
  • मुकुल रॉय अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में वापस लौटे
  • तृणमूल के संस्थापकों में शामिल रहे हैं मुकुल रॉय
  • 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए थे मुकुल रॉय

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय शुक्रवार को अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) में वापस लौट गए। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य की सत्ताधारी पार्टी के अन्य नेताओं ने वापसी पर उनका स्वागत किया। कभी तृणमूल में दूसरे सबसे प्रमुख नेता रहे रॉय को नारद स्टिंग मामले में नाम आने के बाद फरवरी, 2015 में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटा दिया गया था। वह नवंबर, 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे।

रॉय ने जहाजरानी मंत्रालय और बाद में रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया है। वह पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे। 26 सितंबर 2020 को रॉय को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। टीएमसी छोड़ने पर उन्होंने 11 अक्टूबर 2017 को राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था।

ऐसा है मुकुल का राजनीतिक जीवन

रॉय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत युवा कांग्रेस नेता के रूप में की और ममता बनर्जी के करीबी बन गए जो युवा कांग्रेस से भी जुड़ी थीं। रॉय अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे, जिसका गठन जनवरी 1998 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस के एक अलग गुट के रूप में किया गया था। जल्द ही वह नई दिल्ली में पार्टी का चेहरा बन गए और 2006 में उन्हें महासचिव बनाया गया।

केंद्र में भी मंत्री रहे

अप्रैल 2006 में रॉय राज्यसभा के लिए चुने गए और 28 मई 2009 से 20 मार्च 2012 तक राज्यसभा में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के नेता रहे। यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में वो पहले जहाजरानी मंत्रालय में राज्य मंत्री नियुक्त किए गए, फिर रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री बने, जब ममता बनर्जी ने इस्तीफा दिया था। 2012 में वो रेल मंत्री बने। 2015 में रॉय और ममता के बीच मतभेद हो गया, जब उनका नाम सारदा घोटाले के साथ-साथ नारद स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया, जिसमें टीएमसी नेता शामिल थे।  

तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद रॉय को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने 25 सितंबर 2017 को तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद रॉय ने 11 अक्टूबर 2017 को राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया।

रॉय औपचारिक रूप से 3 नवंबर 2017 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। अब वो एक बार फिर से टीएमसी में आ गए हैं।

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