नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के एक छोटे से इलाके शाहीन बाग में पिछले 93 दिनों से कुछ हजार लोगों का समूह धरने पर है। आवाज दो हम एक हैं के नारों के साथ वो अपने इरादे का इजहार करते हैं। लेकिन जब कोरोना ने भारत में औपचारिक तौर पर दस्तक दे दी तो शाहीन बाग से आवाज आई कि सरकार उन्हें सैनिटाइजर, मास्क के सेक्युरिटी की व्यवस्था करे। यह तो कुछ वैसे ही है किसी को गाली दीजिए और उससे ही कहें कि भाई साहब गला सूख रहा है पानी का इंतजाम करिए।
जब आई आवाज नकाब ही मास्क है
खैर शाहीन बाग के उन प्रदर्शनकारियों की यह मांग तो कम से कम पूरी नहीं होने वाली थी, लिहाजा प्रदर्शनकारियों ने खुद इंतजाम करते हुए कहा कि अब नकाब ही मास्क है। हो सकता है उन नकाबों में एयर फिल्टर करने का कुछ खास यंत्र लगा हो जो कोरोना के वायरस को वहां की फिजा में कम से कम तैरने ही न दे। लेकिन इन सबके बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार का एक आदेश उन्हें रास न आई।
निशाने पर मफलर मैन
ऐसे में जानना जरूरी है कि मफलर मैन के नाम से भी मशहूर केजरीवाल जी ने क्या आदेश दिया। दिल्ली सरकार ने आदेश दिया कि कोरोना के मद्देनजर पचास से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। इसका तो सीधा साधा संदेश था कि जो काम दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार और दूसरी एजेंसियां न कर सकीं वो काम कोरोना का डर ही कर दे यानि की सांप भी मर जाए लाठी भी ना टूटे। लेकिन केजरीवाल के इस आदेश के बाद वो शाहीन बाग की महिलाओं को खलनायक नजर आने लगे।
दिल्ली सरकार के आदेश में सियासी बू
दरअसल कोरोना के खतरे से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने आदेश निकाला कि एक जगह पर 50 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। भई यह आदेश तो दुरुस्त था आखिर लोगों की स्वास्थ्य से ज्यादा मजमें को एक जगह इकट्ठा करना तो जरूरी नहीं हो सकता है। लेकिन जाने अनजाने में इस आदेश की जद में शाहीन बाग का प्रदर्शन भी आ गया। वहां तो हजारों का मजमा लगता है, अब पता नहीं किसकी छींक में कोरोना का वायरस छिपा हो। आदेश के पीछे की नीयत तो ठीक थी। लेकिन शाहीन बाग को इसमें छिपी हुई सियासत नजर आई तभी तो उस जगह से शोर उठा कि अब तो नकाब ही मास्क है।
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