नई दिल्ली: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हमेशा इसी जुगत में लगी रहती है कि वह किसी भी तरह भारत की सुरक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां हासिल कर सके। कई बार वह अपने इस मिशन में कुछ हद तक सफल भी रही लेकिन उसकी यह सफलता ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी। हनी ट्रैप के जरिए भारतीय रक्षाकर्मियों को फंसाने की कई बार कोशिश हो चुकी है लेकिन हर बार आईएसआई की इस करतूत का भांडाफोड़ हो जाता है।
राजस्थान में दो सिविल डिफेंस कर्मचारी गिरफ्तार
ताजा मामला राजस्थान से आया है जहां पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में, मिलिट्री इंटेलीजेंस और राजस्थान पुलिस ने दो रक्षा कर्मियों को उस समय रंगे हाथों दबोच लिया जब ये दोनों आईएसआई को रणनीतिक सैन्य प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी दे रहे थे। इन दोनों रक्षा कर्मियों को फेसबुक के जरिए आईएसआई द्वारा ऑपरेट पाकिस्तानी महिला द्वारा हनीट्रैप किया गया था।
गिरफ्तार किए गए दोनों लोग आईएसआई के पेरोल प थे और कथित तौर पर देश भर में गोला बारूद का परिवहन करने वाली ट्रेनों से संबंधित जानकारी आईएसआई को देते थे। दो लोगों की पहचान विकास कुमार (29) और चिमन लाल (22) के रूप में हुई है जो राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में रहते हैं। विकास एक सिविल डिफेंस कर्मचारी है जो श्री गंगानगर (राजस्थान) के पास सेना के गोला-बारूद डिपो में तैनात था। वहीं चिमन लाल सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (MFFR) बीकानेर में एक संविदा कर्मचारी था।
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हैं दोनों जगह
दोनों जगह सामरिक रूप से संवेदनशील हैं क्योंकि गोला बारूद डिपो और MMFR देश के पश्चिमी मोर्चे पर स्थित महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान हैं। यह जोड़ी (विकास और चिमन) ओआरबीएटी (ऑर्डर ऑफ बैटल, कंपोजिशन एंड ऑर्डर ऑफ ए मिलिटरी फाइटिंग फॉर्मेशन), गोला-बारूद (फोटो, राज्य, मात्रा, प्रकार, आगमन, प्रस्थान) से संबंधित जानकारी सीमा पार पहुंचाते थे। विकास के पाकिस्तानी हैंडलर्स ने उसके तीन बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर कर दिया।
भेजी जा रही थी गुप्त सूचनाएं
मामले में पहली सफलता तब मिली जब एमआई को एक गुप्त सूचना मिली कि सीमा क्षेत्र में रहने वाला कोई व्यक्ति पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटर से लगातार बातचीत कर रहा है। ऑपरेटिव ने एक भारतीय था लेकिन पाकिस्तान के मुल्तान में रह रहा था। मिलिट्री इंटेलिजेंस ने सबसे पहले इस जनवरी में यूपी एटीएस के साथ इनपुट साझा किया था। विकास पर निगरानी रखी गई। आगे की जांच में पता चला कि विकास ने महाजन फायरिंग रेंज के जल वितरण रजिस्टर की तस्वीरें अपने रखी हैं जो उसे चिमन लाल से मिलीं। यह जानकारी तब राजस्थान पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट के साथ साझा की गई थी। आगे की जांच से पता चला कि गुप्त सूचना को गुप्त रूप से साझा किया जा रहा था और आईएसआई संचालकों द्वारा संदिग्धों को नियमित रूप से पैसे का भुगतान किया जा रहा है।
रिटायर सैन्यकर्मी का बेटा है विकास
विकास कुमार और चिमन लाल को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। कुमार सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी का बेटा है। पूछताछ के दौरान, विकास ने स्वीकार किया कि वह साइबर हनी ट्रैप का शिकार था। पिछले मार्च में उसे अनुष्का चोपड़ा के फेसबुक अकाउंट से फ्रेंड रिक्वेस्ट आई थी। खुफिया एजेंसियों को शक है कि अनुष्का कोई और नहीं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की एजेंट थी।
फेसबुक के जरिए हनीट्रैप
अनुष्का ने धीरे-धीरे विकास को अपने झांसे में लिया और जल्द ही दोनों ने कॉंटेक्ट डिटेल शेयर किए और बातचीत शुरू कर दी। अनुष्का एक भारतीय मोबाइल फोन नंबर का उपयोग कर रही थीं और उसने बताय था कि वह मुंबई में कैंटीन स्टोर विभाग में काम करती है। इसक बाद अनुष्का के अनुरोध पर, विकास कई व्हाट्सएप ग्रुपों में शामिल हो गया जिसमें रक्षा और नागरिक सुरक्षा दोनों कर्मचारी थे।
बाद में अनुष्का ने विकास को अपने कथित सीनियर अमित कुमार सिंह से मिलवाया। अनुष्का की तरह, अमित भी आईएसआई एजेंट हैं। अमित ने दावा किया कि उन्होंने सीएसडी और मिलिट्री इंजीनियर सर्विस में काम किया। एक बार जब अमित और विकास ने एक दूसरे के साथ दोस्ती हो गई तो अनुष्का ने विकास को अपने फेसबुक और व्हाट्सएप अकाउंट पर ब्लॉक कर दिया।
संवेदनशील जानकारी लीक
विकास ने जल्द ही अमित को गुप्त और संवेदनशील जानकारी साझा करना शुरू कर दिया। इसके लिए अमित को नियमित रूप से अप्रैल 2019 से भुगतान किया गया था। जांच में पता चला कि चिमन लाल MFFR के पंप हाउस में रखे गए "पानी- वितरण- रजिस्टर" की तस्वीरें सेना के नंबर, रैंक, नाम, यूनिट, कुल ताकत और पानी की मात्रा जैसी हर जानकारी को रोजाना भेजा करता था। विकास ने कथित तौर पर अपने डिपो में गोला बारूद के बारे में भी जानकारी दी थी।
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