नई दिल्ली : मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान की अदालत ने तीन दिन पहले आतंकी फंडिंग के मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई, लेकिन उसके इरादों पर शक हमेशा से रहा। भारत पहले भी आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के कदमों को 'महज दिखावा' करार दे चुका है। अब एक बार फिर पाकिस्तान की नीयत पर संदेह जताया जा रहा है, जिसकी वजह भी वाजिब है।
पाकिस्तान में हाफिज को यह सजा ऐसे समय में हुई है, जबकि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक जल्द ही पेरिस में होने जा रही है, जिसमें आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है। ऐसे में उस बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान की अदालत से आया यह फैसला अंतररराष्ट्रीय बिरादरी की आंखों में धूल झोंकने की एक कोशिशभर हो सकता है।
रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल के अनुसार, 'हाफिज सईद पाकिस्तान की सरकार, वहां की सेना और आईएसआई की उपज है, जिसके जरिये वे भारत में अव्यवस्था व अराजकता की स्थिति पैदा करना चाहते हैं, इसलिए वे कभी उसे वास्तव में सजा नहीं देंगे, बल्कि यह सिर्फ दिखावा भर है। उन्होंने यह भी कहा कि एफएटीएफ की बैठक में अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट होने से बच जाता है तो एक बार फिर, भले ही वह जेल के भीतर हो, उसे वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाएगा और जेल के भीतर ही सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
कुछ इसी तरह की बात कमर आगा भी कहते हैं। उनके मुताबिक, पाकिस्तान में अक्सर यह देखने में आया है कि जब दबाव आता है तो वहां की पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार करती है, लेकिन फिर ऊपरी अदालतों द्वारा उन्हें रिहा कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में अदालतों के कामकाज पर ऐसे लोगों का असर बढ़ने लगा है, जिनका सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों से है।
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