नई दिल्ली: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार कांग्रेस के दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के फैसले के बाद विवादों में घिर गई है। विपक्ष के अलावा कांग्रेस पार्टी में भी कई ने इस फैसले की आलोचना की है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने के अपनी सरकार के फैसले को उनके दादाओं द्वारा किए गए बलिदानों की मान्यता के रूप में करार दिया है। उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया था।
कांग्रेस विधायक कुलजीत नागरा ने कहा कि मैं पंजाब सरकार से दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने के कैबिनेट के फैसले को वापस लेने का अनुरोध करता हूं। वहीं राज्य कांग्रेस प्रमुख के कार्यालय की तरफ से बयान जारी किया गया, 'पंजाब कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से दो विधायकों के बेटों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने के फैसले पर फिर से विचार करने और जनहित में नियुक्तियों को तुरंत रद्द करने का आग्रह किया है।'
इसलिए लिया ये फैसला
कांग्रेस के दो विधायकों फतेह जंग सिंह बाजवा और राकेश पांडेय के बेटों को अनुकंपा आधार पर नियुक्त करने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया। अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर और भीष्म पांडेय को राज्य के राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में नियुक्त किया गया है। अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। भीष्म पांडेय जोगिंदर पाल पांडेय के पोते हैं जिनकी 1987 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
कैबिनेट में भी हुआ विरोध
इतना ही नहीं अमरिंदर सिंह के कैबिनेट में उनके कुछ साथियों ने भी इसका विरोध किया है। कैबिनेट में उनके सहयोगी सुखजिंदर रंधावा, सुखबिंदर सरकारिया, चरणजीत चन्नी, तृप्त राजिंदर बाजवा और रजिया सुल्ताना ने फैसले पर आपत्ति जताई। आदेश के खिलाफ विरोध की और आवाजें शनिवार को सामने आईं जब फतेहगढ़ साहिब के कांग्रेस विधायक कुलजीत नागरा ने नियुक्तियों का विरोध किया और फैसले को वापस लेने की मांग की।
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