पालघर (महाराष्ट्र) : तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के फैसले पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जबतक संसद में इन तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत की प्रक्रिया जबतक शुरू नहीं करेगी किसान प्रदर्शन करते रहेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि एक साल बाद ही सरकार को किसानों की सुध आई। यह किसानों की जीत है। शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। पीएम ने कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
पालघर में मीडिया से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा, 'यह संघर्ष लंबा चलेगा। हमने सरकार से बातचीत शुरू करने के लिए कहा है। जब तक बातचीत शुरू नहीं होगी किसान यहां से नहीं जाएगा। आज नौ मेंबर कमेटी की मीटिंग है। जब तक इन तीनों कानूनों को संसद में वापस नहीं लिया जाएगा तब तक किसान डटे रहेंगे। हमारी मांग है कि सरकार एमएसपी पर कानून बनाए। एमएसपी पर कानून बनने से देश के सभी किसानों को लाभ होगा। एक साल बाद ही सरकार को सुध आई है। यह उन किसानों की जीत है जिन्होंने आंदोलन में अपनी शहादत दी।'
टिकैत ने कहा कि चुनावों को देखते हुए सरकार की यह एक चाल भी हो सकती है। देश में सरकार का ग्राफ गिर रहा है और उसकी छवि खराब हो रही है। उन्होंने कहा, 'सरकार निजी कंपनियों के दबाव में काम कर रही है। वह उन्हें फायदा पहुंचाना चाहती है।' कृषि कानूनों को वापस लने के सरकार के फैसले पर विपक्ष ने उस पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान आंदोलन के आगे सरकार के अहंकार की हार बताया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह केवल किसानों की ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की भी जीत है।
केजरीवाल ने उन किसानों की मौत पर भी शोक जताया, जिन्होंने आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई। उन्होंने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह यह स्वर्णिम दिन इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा। केंद्र किसानों के आगे झुक गया है। यह सिर्फ किसानों की ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की भी जीत है। यह जीत साबित करती है कि यह मायने नहीं रखता कि कौन-सी पार्टी या नेता है, आपका अहंकार जनता के सामने नहीं टिकेगा।’ दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार को किसानों से माफी मांगनी चाहिए।
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