अयोध्या में राम मंदिर के लिए नींव रखने का कार्य 15 दिसंबर के बाद शुरू होगा, राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक मंगलवार को हुई इसमें मंदिर निर्माण से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की गई, बताया जा रहा है कि राम मंदिर के लिए नींव रखने के लिए तारीख का निर्धारण करने के साथ मंदिर निर्माण की तारीख पर भी बातचीत की गई।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंददेव ने बताया कि प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ राम मंदिर के अलावा रामजन्मभूमि परिसर को वैदिक सिटी के रूप में विकसित करना चाहते हैं उनका यह प्रयास काफी स्वागतयोग्य है उन्होंने कहा कि सभी चाहते हैं कि रामजन्मभूमि परिसर कल्चरल कैपिटल ऑफ दी वर्ल्ड के रूप में विकसित करें और अयोध्या विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बने।
उन्होंने कहा कि बैठक में प्रस्तावित मंदिर के परकोटे के भीतर निर्माण की योजना के साथ रामजन्मभूमि परिसर के बाकी 65 एकड़ भूमि पर विकास कार्यों की समीक्षा की गयी साथ ही मंदिर निर्णाम कार्यों को किस तरीके से किया जाना है इसे लेकर भी अहम चर्चा की गई साथ ही आगे के कार्यों की रूपरेखा पर भी विचार विमर्श किया।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के ट्रस्टी अनिल मिश्रा ने बताया कि नींव रखने का कार्य 15 दिसंबर के बाद शुरू होगा और प्रथम चरण में बाहरी सुरक्षा दीवार का निर्माण शुरू होगा वहीं नृपेंद्र मिश्रा ने ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, सचिव चंपत राय, एलएंडटी एवं टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज के विशेषज्ञों के साथ राम जन्मभूमि परिसर का दौरा किया। इस दौरान इन लोगों ने मंदिर परिसर में शुरू हुए निर्माण कार्यों का जायजा लिया।
डॉ. अनिल मिश्रा ने मिश्रा ने कहा, 'बैठक में निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा, ट्रस्टी एवं विशेषज्ञों ने निर्माण कार्य से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की। विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि राम मंदिर की आधारशिला इतनी मजबूत बने कि वह 1000 साल तक मजबूती के साथ खड़ी रहे।' इससे पहले रिपोर्टों में कहा गया कि मंदिर निर्माण स्थल के नीचे मिली रेत की वजह से निर्माण कार्य में विलंब हो रहा है।
राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा ने टीओआई के साथ बातचीत में उन रिपोर्टों को खारिज किया जिनमें कहा गया है कि मंदिर निर्माण स्थल के नीचे मिली रेत निर्माण कार्य को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ निर्माण कार्य से जुड़ी चीजों को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'विशेषज्ञों को मंदिर निर्माण कार्य स्थल के नीचे रेत मिली है। यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है। अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है, ऐसे में वहां बालू का मिलना नई बात नहीं है। आप ताज महल का उदाहरण लें। इसके नीचे भी रेत है लेकिन इससे ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।'
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।