नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है। पूर्व सीजेआई के इस मनोनयन पर विपक्ष सहित कई लोगों ने सवाल उठाए हैं। गोगोई के राज्यसभा भेजे जाने पर विपक्ष का कहना है कि इससे न्यायपालिका की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आएगी।
कांग्रेस ने कहा है कि 'राज्यसभा के सदस्य के रूप में रंजन गोगोई का मनोनयन संविधान के बुनियादी ढांचे पर एक गंभीर, अप्रत्याशित एवं माफ न किए जाने वाला हमला है।' पूर्व सीजेआई जब शपथ ले रहे थे तो कांग्रेस ने नेतृत्व में विपक्ष के नेताओं ने 'शेम, शेम' कहा। इसके बाद कांग्रेस के सदस्य सदन से बाहर चले गए।
बता दें कि सीजेआई रहते हुए अपने कार्यकाल के दौरान रंजन गोगोई ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुनवाई की और ऐतिहासिक फैसले दिए। इनमें राम मंदिर, राफेल और सबरीमाला मंदिर जैसे अहम फैसले शामिल हैं। खास बात यह है कि रंजन गोगोई तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चार जजों में शामिल रहे हैं। इन चार जजों ने दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। गोगोई पर रिटायर होने से पहले यौन हिंसा के आरोप भी लगे लेकिन वह इस आरोप से बरी हो गए।
राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने मनोनयन पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों के जवाब में गोगोई मंगलवार को कहा कि 'एक बार उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ले लेने दीजिए इसके बाद वह मीडिया को विस्तार से बताएंगे कि उन्होंने इस पद को क्यों स्वीकार किया।'
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