राज्यसभा के लिए जस्टिस रंजन गोगोई का मनोनयन कठघरे में, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के बाद से इस पर हंगामा मचा है। अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी इस पर सवाल उठाए हैं।

राज्यसभा के लिए जस्टिस रंजन गोगोई का मनोनयन कठघड़े में, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने उठाए सवाल
राज्यसभा के लिए जस्टिस रंजन गोगोई का मनोनयन कठघरे में, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने उठाए सवाल  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है, जिस पर विवाद पैदा हो गया है
  • जस्टिस रंजन गोगोई के राज्‍यसभा के लिए मनोनयन पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी सवाल उठाए हैं
  • जस्टिस कुरियन जोसेफ सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में से हैं, जिन्‍होंने 12 जनवरी, 2018 को न्‍यायपालिक की स्‍वतंत्रता को लेकर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की थी

नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को संसद के उच्‍च सदन राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। उन्हें कानून के क्षेत्र में सराहनीय काम के लिए मनोनीत किया गया है। लेकिन 17 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से सेवानिवृत्त हुए गोगोई के राज्‍यसभा के लिए मनोनयन पर विवाद पैदा हो गया है। न केवल विपक्षी दल इसे लेकर सवाल कर रहे हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी इस पर सवाल उठाए हैं।

जनवरी 2018 में की थी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस

जस्टिस कुरियन जोसेफ सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे, जिन्‍होंने 12 जनवरी, 2018 को न्‍यायपालिक की स्‍वतंत्रता को लेकर ऐतिहासिक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की थी। जजों की इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के बाद न्‍यायपालिका की कार्यप्रणाली में हस्‍तक्षेप को लेकर सवाल उठे थे। अब जस्टिस कुरियन ने राज्‍यसभा मनोनयन के लिए जस्टिस गोगोई द्वारा स्‍वीकृति दिए जाने की आलोचना की है और कहा कि यह न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता में आम लोगों के भरोसे को हिलाकर रख देने वाला है, जो भारतीय संविधान का एक मौलिक ढांचा है।

जस्टिस गोगोई पर उठाए सवाल

उन्‍होंने कहा, '12 जनवरी, 2018 की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था- हमने राष्‍ट्र के प्रति अपना कर्ज अदा किया। मैं हैरान हूं कि न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता बरकरार रखने को लेकर कभी इस तरह की दृढता व साहस दिखाने वाले जस्टिस रंजन गोगोई ने न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता व निष्‍पक्षता के महत्‍वपूर्ण सिद्धांतों से कैसे समझौता कर लिया। हमारा देश आज भी अगर संवैधानिक मूल्‍यों को बरकरार रखे हुए है तो इसका श्रेय मुख्‍य रूप से स्‍वतंत्र न्‍यायपालिका को जाता है। लेकिन इस वक्‍त लोगों का यह विश्‍वास हिल गया है।'

न्‍यायपालिका में लोगों का भरोसा डिगा

जस्टिस चेलमेश्‍वर, जस्टिस गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर के साथ 12 जनवरी, 2018 की अपनी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा, 'हमलोग राष्‍ट्र को यह बताने के लिए सार्वजनिक तौर पर सामने आए थे कि जिस ठोस नींव पर राष्‍ट्र की संरचना निर्मित होती है, वह खतरे में है और अब मुझे यह खतरा कहीं अधिक नजर आता है। यही वजह है कि मैंने सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लेने का फैसला किया। मेरे ख्‍याल से देश के पूर्व मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा राज्‍यसभा का मनोनयन स्‍वीकार करने से निश्चित रूप से न्‍यायपालिका में आम लोगों का भरोसा डिग गया है।'

पूर्व सीजेआई अयोध्‍या पर सुना चुके हैं फैसला

यहां उल्‍लेखनीय है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने ही अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके बाद यहां राम मंदिर का मार्ग प्रशस्‍त हुआ। वह सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे जैसे अहम मामलों में फैसला देने वाली पीठ में भी शामिल रहे। उन्‍हें केटीएस तुलसी का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से रिक्‍त हुई सीट के लिए मनोनीत किया गया है। राज्‍यसभा के लिए अपने मनोनयन पर हंगामे के बीच जस्टिस गोगोई ने कहा है कि संसद के उच्च सदन की सदस्यता के लिए शपथ ग्रहण के बाद वह इस पर अपना पक्ष रखेंगे।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर