नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ आपराधिक अवमानना मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को उनके 2 ट्वीट के लिए अवमानना का दोषी माना है और इस मामले में उन्हें सजा सुनाई जानी है। सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर खेद नहीं जताने के अपने रुख पर फिर से विचार करने के लिए मंगलवार को 30 मिनट का समय दिया। वहीं अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उनके लिए माफी का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अदालत को भूषण को चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए।
इससे पहले प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ किए गए अपने दो ट्वीट पर शीर्ष अदालत में माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्होंने जो कहा वह उनका वास्तविक विश्वास है, जिस पर वह कायम हैं। पीठ ने पूछा, 'भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट चरमरा गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है।' पीठ ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेशों के जरिए बोलती है और अपने हलफनामे में भी, भूषण ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अदालत को उन्हें चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भूषण के माफी मांगने से इनकार करने पर कहा, 'माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है। प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे। इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे।'
मामले में प्रशांत भूषण की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि न सिर्फ भूषण से संबंधित अवमानना के मामले को बंद किया जाए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय की ओर से ‘स्टेट्समैन’ जैसा संदेश दिया जाना चाहिए। भूषण को शहीद न बनाएं, उन्होंने कोई कत्ल या चोरी नहीं की है।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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