कोलकाता : पश्चिम बंगाल में अपने नेता की हत्या और राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुरुवार को कोलकाता की सड़कों पर उतरी। राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा ने राज्य में ममता सरकार पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम होने का आरोप लगाया है। राज्य सचिवालय नवन्ना का घेराव करने के लिए भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या कोलकाता पहुंचे। इस घेराव के लिए कोलकाता और हावड़ा में भाजपा कार्यकर्ता सुबह से सड़कों पर उतर गए। भाजपा के इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए ममता सरकार भाजपा कार्यालय सहित शहर के कई जगहों पर पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती कर दी।
कोलकाता पहुंचे तेजस्वी सूर्या
'नवन्ना चलो' मार्च में हिस्सा लेने कोलकाता पहुंचे तेजस्वी गुरुवार सुबह सबसे पहले बेलुर मठ गए। ममता सरकार ने सचिवालय को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि इमारत को सैनिटाइज करने के लिए सचिवालय को बंद रखा गया है। जबकि भाजपा का कहना है कि ममता सरकार ने मार्च को रोकने के लिए सचिवालय को बंद करने का फैसला किया है।
भाजपा नेता की हुई है हत्या
बता दें कि नार्थ 24 परगना में गत रविवार को भाजपा नेता मनीष शुक्ला का हत्या हुई जिसके बाद भगवा पार्टी टीएमसी पर हमलावर हो गई है। भाजपा का कहना है कि राज्य में कानून-व्यवस्था बदतर हो गई है। ममता सरकार ने शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए भाजपा के इस मार्च को अनुमति नहीं दी है।
सैनिटाइजेशन के लिए बंद हुआ सचिवालय
ममता सरकार ने बुधवार रात एक आदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया कि कोलकाता स्थित राइटर्स बिल्डिंग और हावड़ा स्थित नवन्ना सैनिटाइजेशन के लिए बंद रहेंगे। भाजपा का कहना है कि ममता सरकार इस मार्च से डर गई है और इसलिए उसने दोनों भवनों को बंद करने का फैसला किया है। राज्य सचिवालय के अधिराकियों का कहना है कि भाजपा के मार्च से काफी पहले नवन्ना को आठ और नौ अक्टूबर को बंद रखने का फैसला किया जा चुका था। इसका भाजपा के मार्च से कोई लेना-देना नहीं है।
दो दिनों तक बंद है सचिवालय
भाजपा के सूत्रों ने कहा, 'भाजपा ने जैसे ही खराब होती कानून-व्यवस्था के खिलाफ अपने नवन्ना मार्च की तैयारी की, ममता दीदी ने सचिवालय को दो दिन तक बंद रखने का फैसला कर लिया।' भाजपा के एक नेता ने कहा कि सामान्य रूप से नवन्ना की तरफ जाने वाले मार्च को पुलिस बीच रास्ते में रोकती है। इसके बाद कुछ नेता नवन्ना जाकर अपनी मांग का ज्ञापन सौंपते हैं लेकिन सचिवालय बंद होने से मार्च का कोई मतलब नहीं रह जाता।
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