नई दिल्ली: बिहार सरकार ने शराब सेवन को लेकर बड़ा फैसला लिया है अब शराब पीते हुए पकड़े जाने पर भी जेल नहीं जाना होगा लेकिन इसके लिए शराब पीते पकड़ाने वाले को शराब मिलने के सोर्स की पहचान बतानी होगी। यानी शराब पीते पकड़े गए आदमी को पुलिस को शराब माफिया की जानकारी देनी होगी, मतलब ये कि उसे ये बताना होगा कि उसने शराब किससे खरीदी।
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया कि अभी करीब पौने चार लाख लोग जेल में हैं वहीं शराब पीना एक सामाजिक कुरीति है जो पी रहे हैं, उन्हें सुधारा जा सकता है और जो चोरी छिपे शराब पिला रहे हैं, उनपर अब शिकंजा कसा जाएगा।
इस काम के लिए ऐसे लोगों की मदद ली जाएगी यानी शराब पीते हुए पकड़ा गया शख्स ऐसा करता है तो उसे जेल नहीं भेजा जाएगा बल्कि उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी मद्य निषेध विभाग लेगा।
शराब पीते हुए पकड़े गए शख्स की निशानदेही पर पुलिस और उत्पाद विभाग की कार्रवाई में अगर बेचने वाले की गिरफ्तारी हो जाती है या शराब बरामद हो जाती है तो, पीने वाले को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा ऐसा कहा जा रहा है।
बिहार सरकार शराब के सेवन के कारण जेल जाने के बाद शराब छोड़ने वालों की संख्या की गणना के लिए एक सर्वेक्षण करेगी।इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि बिहार सरकार राज्य में सफलतापूर्वक शराबबंदी लागू करने और इसके लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। कुमार ने कहा, "हमने 2018 में एक नशामुक्ति सर्वेक्षण किया था और पाया कि 1.64 करोड़ लोगों ने शराब का सेवन छोड़ दिया था। चार साल बाद, हम यह जानने के लिए एक ही सर्वेक्षण करने जा रहे हैं कि कितने और लोगों ने नशे की लत पर काबू पाया है।"इस सर्वे के तहत अधिकारी जेल से छूटने के बाद शराब छोड़ने वालों की गिनती पर ध्यान देंगे।
उन्होंने कहा, 'अगर कोई शराब पीकर मर जाता है, तो हम उसके साथ सहानुभूति नहीं रख सकते। समाज में कुछ लोग उपद्रव करते हैं। हमारी पुलिस, आबकारी और शराबबंदी विभाग उन्हें संभालेगा।' शराब माफियाओं की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्य सरकार ड्रोन, हेलीकॉप्टर, सैटेलाइट फोन, मोटर बोट, घोड़े, डॉग स्क्वायड का इस्तेमाल कर रही है।
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