सांसदों का पूरी रात धरने पर बैठना और सुबह फिर से उप-सभापति का अनादर करना शोभनीय तो नहीं हां, सोचनीय अवश्य है। कोरोना महामारी में इस साल का संसद का पहला सत्र शुरू हुआ। लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाई इस महामारी के बीच शुरू की गई, लेकिन राज्यसभा के सांसदों ने देश की संसद को शर्मसार करते हुए पहले तो जमकर राज्य सभा के भीतर सदन की गरिमा को ताक पर रखते हुए हंगामा किया और बाद में सदन के उप-सभापति को धमकी तक दे डाली। सांसदों के इस कृत्य के बाद उन्हें राज्य सभा के सभापति वेंकेया नायडू ने निलंबित कर दिया।
शर्म छोड़ संसद परिसर में गुजारी पूरी रात
सभापति द्वारा सदन के आठ सांसदों को निलंबित करने के बाद इन सांसदों ने अपने-अपने घर जाने की बजाय पूरी रात संसद परिसर में गुजार दी। वहीं उनका धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। उपसभापति से अपने कृत्य पर माफी मांगने की बजाय इन सांसदों ने सारी शर्म-हया छोड़ हो-हल्ला करते रहे।
सदन के भीतर और बाहर भी हुई उपसभापति की बेईज्जती
सदन और उपसभापति की गरिमा को धूमिल करने वाले इन सांसदों के लिए उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह सुबह की चाय लेकर पहुंचे। उपसभापति की इज्जत न तो सदन के भीतर रखी गई और न ही सदन के बाहर. यहां भी विपक्षी सांसदों ने चाय पीने से इनकार कर दिया। सांसदों का विरोध तो सदन के भीतर तक रहता है। सदन के बाहर कोई भेद-मतभेद नहीं रह जाता। फिर जब उपसभापति सुबह चाय लेकर पहुंचे भी तो क्या इन सांसदों को इस तरह से जिद्द पर अड़े रहना शोभा देता है।
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